नादानियां मूवी रिव्यू: इब्राहिम अली खान और ख़ुशी कपूर की डेब्यू फिल्म क्यों निराश करती है?

नादानियां समीक्षा: इब्राहिम अली खान और ख़ुशी कपूर की यह फिल्म क्यों निराश करती है?
परिचय:
फिल्म नादानियां इब्राहिम अली खान और ख़ुशी कपूर की डेब्यू फिल्म है, जिसे शौना गौतम ने निर्देशित किया है। करण जौहर की स्टूडेंट ऑफ द ईयर की तर्ज पर बनी इस फिल्म में कॉलेज रोमांस और ड्रामा देखने को मिलता है, लेकिन यह उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती।
कहानी:
कहानी पिया (ख़ुशी कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी निजी समस्याओं से जूझ रही होती है, लेकिन बाहर से खुश दिखती है। अर्जुन (इब्राहिम अली खान) अपने करियर पर फोकस करना चाहता है और किसी भी तरह का भावनात्मक डिस्ट्रैक्शन नहीं चाहता। पिया उसे अपने नकली बॉयफ्रेंड बनने के लिए पैसे देती है, लेकिन धीरे-धीरे भावनाएं जुड़ने लगती हैं। यह कहानी जितनी साधारण लगती है, फिल्म में उतनी ही फीकी महसूस होती है।
निर्देशन और पटकथा:
शौना गौतम का निर्देशन रॉकी और रानी की प्रेम कहानी जैसी फिल्मों में उनकी सहायक भूमिका को ध्यान में रखते हुए ठोस होना चाहिए था, लेकिन नादानियां में यह कमजोर नजर आता है। इशिता मोइत्रा, रीवा राजदान कपूर और जेहान हांडा की पटकथा बेमेल और उबाऊ लगती है। कहानी में स्कूली जीवन का चित्रण अतार्किक और नकली लगता है।
अभिनय:
- इब्राहिम अली खान: उनका प्रदर्शन निराशाजनक है। चेहरे पर एक ही तरह के हाव-भाव और कमजोर संवाद डिलीवरी उनकी अभिनय क्षमता पर सवाल उठाते हैं।
- ख़ुशी कपूर: उन्होंने इब्राहिम की तुलना में बेहतर काम किया है। उनके किरदार में गहराई है, लेकिन संवाद अदायगी और स्क्रीन प्रेजेंस में सुधार की जरूरत है।
- सपोर्टिंग कास्ट: दीया मिर्जा, जुगल हंसराज, सुनील शेट्टी और अर्चना पूरन सिंह जैसे कलाकारों को कहानी में बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता था।
संगीत और तकनीकी पक्ष:
सचिन-जिगर का संगीत खास प्रभाव नहीं छोड़ता, सिर्फ इश्क में गाना थोड़ा यादगार है। सिनेमैटोग्राफी और प्रोडक्शन डिजाइन कमजोर हैं, जिससे फिल्म की गुणवत्ता और गिर जाती है।