दिल्ली में ट्रैफिक नियमों को सख्त करने के लिए 328 नए कैमरे लगाए जाएंगे

दिल्ली में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने 328 नए कैमरे लगाने का निर्णय लिया है। ये अत्याधुनिक कैमरे विभिन्न प्रकार के ट्रैफिक उल्लंघनों की पहचान कर सकेंगे, जिनमें बिना हेलमेट, बिना सीटबेल्ट गाड़ी चलाना और ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग शामिल है। इसके अतिरिक्त, ये कैमरे वाहनों को उनकी आकृति से भी ट्रैक कर सकेंगे।
कैमरों की नई विशेषताएँ
नए कैमरे एक उन्नत प्रणाली से जुड़े होंगे, जिससे चालान स्वचालित रूप से जनरेट होंगे। ये कैमरे गलत दिशा में गाड़ी चलाने वाले वाहनों और पहली बार दोपहिया वाहनों के उल्लंघन को भी पकड़ सकेंगे। अधिकारियों के अनुसार, ये कैमरे जून 2025 तक पूरी तरह कार्यरत हो जाएंगे। विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात क्षेत्र-2) अजय चौधरी ने बताया कि नए कैमरे लगने से यातायात व्यवस्था में सुधार होगा और जाम की समस्या कम होगी।
कैमरों की संख्या और स्थान
इन 328 नए कैमरों के साथ, दिल्ली में ट्रैफिक कैमरों की कुल संख्या 334 से बढ़कर 662 हो जाएगी। इनमें से:
- 203 कैमरे रेड-लाइट उल्लंघन जांच (RLVD) परियोजना के तहत 57 स्थानों पर लगाए जाएंगे।
- 125 कैमरे ओवर-स्पीड उल्लंघन जांच (OSVD) परियोजना के तहत 76 स्थानों पर लगाए जाएंगे।
RLVD कैमरे प्रमुख चौराहों पर लगाए जाएंगे, जबकि OSVD कैमरे खुले इलाकों में स्थापित किए जाएंगे, जहां तेज गति से वाहन चलाने की घटनाएं अधिक होती हैं। वर्तमान में, दिल्ली में 43 स्थानों पर 209 रेड-लाइट कैमरे और 66 स्थानों पर 125 स्पीड कैमरे हैं।
दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े
दिल्ली रोड क्रैश रिपोर्ट-2023 के अनुसार:
- वर्ष 2023 में 5,834 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं।
- इनमें 1,457 लोगों की मृत्यु हुई।
- अधिकांश दुर्घटनाएँ गलत तरीके से वाहन चलाने, हेलमेट व सीटबेल्ट न पहनने, लाल बत्ती पार करने और तीन लोगों के सवार होने जैसी लापरवाहियों के कारण हुईं।
कैमरों की तकनीकी उन्नति
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात मुख्यालय) सत्यवीर कटारा के अनुसार, ये नए कैमरे केवल ओवरस्पीडिंग और रेड-लाइट जंपिंग तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि कई अन्य उल्लंघनों का भी पता लगा सकेंगे। पुलिस ने विभिन्न कंपनियों के साथ बैठक कर अत्याधुनिक तकनीक के आधार पर इन कैमरों का चयन किया है।
वाहन पहचान प्रणाली और ट्रैकिंग
ये नए कैमरे वाहन पहचान संबंधी विशेषताओं से लैस होंगे, जो हिट-एंड-रन मामलों में संदिग्ध वाहनों की ट्रैकिंग में मदद करेंगे। यदि कोई संदिग्ध किसी वाहन में भागता है, और उसका रंग ज्ञात है, तो ये कैमरे उसी मार्ग पर चल रहे समान रंग के वाहनों का पता लगा सकेंगे।
ट्रैफिक उल्लंघन का सख्त निरीक्षण
पुलिस उपायुक्त (यातायात) एस.के. सिंह के अनुसार, ये कैमरे ट्रैफिक उल्लंघन का फोटो और छोटा वीडियो प्रमाण के रूप में तैयार करेंगे। साथ ही, नए कैमरों में स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) की सुविधा होगी, जिससे 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों की पहचान की जा सकेगी।
कैमरा स्थापना के लिए चयनित कंपनियाँ
परियोजना के लिए गुरुग्राम स्थित एन्वॉयस इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड और दक्षिण दिल्ली स्थित एबमैटिका टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड को शॉर्टलिस्ट किया गया है।
- एन्वॉयस रेड लाइट उल्लंघन कैमरे लगाएगी।
- एबमैटिका स्पीड उल्लंघन कैमरे स्थापित करेगी।
परियोजना की लागत और चुनौतियाँ
परियोजना की अनुमानित लागत ₹95 करोड़ थी, लेकिन निविदा प्रक्रिया के दौरान प्रतिस्पर्धा के कारण लागत को कम किया गया।
समाधान और आगे की रणनीति
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) के यातायात विशेषज्ञों का मानना है कि चालान केवल एक निवारक उपाय हो सकता है, लेकिन अनुपालन में सुधार करना आवश्यक है। ट्रिपल राइडिंग और गलत साइड ड्राइविंग जैसे गंभीर उल्लंघनों पर अंकुश लगाने के लिए पॉइंट-आधारित सिस्टम लागू किया जाना चाहिए, जिससे बार-बार नियम तोड़ने वालों के ड्राइविंग लाइसेंस पर प्रभाव पड़े।