तुलसी गबार्ड: अमेरिका की राजनीति में भारतीय मूल की चमकती सितारा

“सच्चे नेतृत्व का मतलब है निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करना।” – तुलसी गबार्ड
तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) अमेरिका की जानी-मानी राजनीतिज्ञ, पूर्व सांसद, और पहली हिंदू अमेरिकी कांग्रेस वुमन हैं। भारतीय मूल और हिंदू धर्म को मानने वाली तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने न केवल अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया में अपने विचारों, सैन्य सेवा और हिंदुत्व से जुड़ाव के कारण सुर्खियाँ बटोरी हैं।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
तुलसी गबार्ड का जन्म 12 अप्रैल 1981 को लोवा लानी, अमेरिकन समोआ में हुआ था। उनके पिता माइक गबार्ड एक हवाई सीनेटर हैं और माता कैरल पोर्टर गबार्ड शिक्षिका थीं। उनका परिवार धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध था। तुलसी बचपन से ही आध्यात्मिक विचारधारा में पली-बढ़ीं और हिंदू धर्म को अपनाया। उनका झुकाव भगवद गीता और भारतीय संस्कृति की ओर रहा है।
बाद में उनका परिवार हवाई (Hawaii, USA) में बस गया, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और राजनीति में कदम रखा।
राजनीतिक करियर और उपलब्धियाँ
तुलसी गबार्ड का राजनीतिक सफर बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही समाज सेवा और राजनीति की ओर रुझान दिखाया।
- 2002 में मात्र 21 वर्ष की उम्र में हवाई राज्य प्रतिनिधि सभा के लिए चुनी गईं।
- 2003-2004 में इराक युद्ध में अमेरिकी सेना के साथ सेवा की।
- 2012 में अमेरिकी कांग्रेस (U.S. House of Representatives) के लिए चुनी गईं और पहली हिंदू सांसद बनीं।
- 2020 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पेश की।
तुलसी गबार्ड की राजनीति की खास बात यह है कि वे हमेशा स्वतंत्र विचारधारा रखती हैं और पार्टी की मुख्य धारा से अलग हटकर भी अपने विचारों को मजबूती से रखती हैं।
हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति से जुड़ाव
तुलसी गबार्ड अपनी भारतीय जड़ों और हिंदू धर्म में आस्था के लिए जानी जाती हैं। वे श्रीकृष्ण और भगवद गीता से बहुत प्रभावित हैं। वे अक्सर भारतीय त्योहारों जैसे दिवाली और कृष्ण जन्माष्टमी मनाती हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदू धर्म के प्रति गलतफहमियों को दूर करने का कार्य करती हैं।
2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में योगदान दिया।
विवाद और आलोचनाएँ
तुलसी गबार्ड हमेशा से अपने स्वतंत्र और निष्पक्ष विचारों के लिए जानी जाती हैं। हालांकि, उनके राजनीतिक जीवन में कुछ विवाद भी रहे हैं:
- डेमोक्रेटिक पार्टी से दूरी – वे अक्सर अपनी पार्टी के पारंपरिक विचारों से हटकर फैसले लेती हैं, जिससे कई बार उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी।
- सीरिया नीति पर विवाद – उन्होंने 2017 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की, जिससे अमेरिका में उनकी आलोचना हुई।
- 2020 राष्ट्रपति चुनाव अभियान – उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की नीतियों की आलोचना की, जिससे उनकी उम्मीदवारी को ज्यादा समर्थन नहीं मिला।
हालांकि, तुलसी ने हमेशा अपने फैसलों को राष्ट्रहित और तटस्थता के आधार पर उचित ठहराया है।
तुलसी गबार्ड का भविष्य और योगदान
तुलसी गबार्ड राजनीति से हटकर अब सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यों में ज्यादा सक्रिय हो रही हैं। वे अमेरिका में हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी और अब वे स्वतंत्र राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा दे रही हैं। वे हमेशा विश्व शांति, सैन्य सुधार, और स्वतंत्रता की वकालत करती हैं।