पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ड्रम और सीमेंट वाली घटना पर बोले अच्छा है मेरी शादी नहु हुई

मेरठ में सौरभ हत्याकांड हाल ही में देशभर में चर्चा का विषय बन गया है, और इस घटना पर कई लोग गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। पंडित धीरेंद्र शास्त्री, जो हाल ही में मेरठ पहुंचे थे, ने इस जघन्य घटना की कड़ी निंदा की और “ब्लू ड्रम” घटना को लेकर यह भी कहा कि यह पूरे भारत में वायरल हो चुकी है। कई पतियों ने इस घटना के बाद गहरी चिंता जताई है। पंडित शास्त्री ने कहा कि यह भगवान की कृपा है कि वे अब तक विवाहित नहीं हुए हैं।

पंडित शास्त्री ने सौरभ हत्याकांड को बेहद निंदनीय बताया और इसे मूल्यों की कमी और खराब परवरिश का परिणाम बताया। उन्होंने सभी भारतीयों से आग्रह किया कि वे रामचरितमानस को अपने जीवन का आधार बनाएं। उनके बयान में रण संगा पर टिप्पणियां करने वालों पर भी हमला किया गया, और उन्होंने उन लोगों से मन को शुद्ध करने की अपील की। उन्होंने कहा कि औरंगजेब को महान नहीं माना जा सकता। विदेशी आक्रमणकारियों के नामों को मिटा देना चाहिए, और मेरठ में कुछ स्थानों के नाम भी बदलने चाहिए।
सम्भल पर पंडित शास्त्री ने कहा, “अब हम कहते थे कि अयोध्या केवल एक झलक है, काशी-मथुरा अभी बाकी है, लेकिन अब हम कहेंगे काशी-मथुरा-सम्भल तीनों अभी बाकी हैं। शांति पृथ्वी के मंत्र का अब बहुत हो चुका। अब धरती को क्रांति का पाठ पढ़ाना चाहिए। देश को तोड़ने की बजाय इसे एकजुट करने का काम होना चाहिए।”
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा, “पहले पश्चिमी भूमि पर देश को टुकड़ों में बांटने का नारा उठाया गया था। यहां 42 प्रतिशत की बात की गई थी। यह सुनकर मुझे दुख हुआ। यहां हिंदुत्व की क्रांति जरूरी है। जातिवाद देश को तोड़ने की सबसे बड़ी साजिश है। पूरा देश एक मुट्ठी बनना चाहिए।” उन्होंने हिंदू राष्ट्र का समर्थन करते हुए कहा कि एक हिंदू राष्ट्र में सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार होगा। एक हिंदू राष्ट्र में गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा मिलेगा और जातिवाद की राजनीति समाप्त हो जाएगी। इस तरह के नारे जैसे “भारत तेरे टुकड़े होंगे” यहां नहीं उठाए जाएंगे।
धीरेंद्र शास्त्री ने घोषणा की कि वह दिल्ली से वृंदावन तक एक पदयात्रा करेंगे, जिसका उद्देश्य हिंदुओं को एकजुट करना होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदुओं की घटती संख्या पर दुख हो रहा है और वे चाहते हैं कि “दो बच्चे अच्छे हैं” का नारा स्वीकार किया जाए, लेकिन क्यों चाचा के पास तीस बच्चे हों? बच्चों की संख्या नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता महत्वपूर्ण होनी चाहिए। हमें कठोर हिंदू बनना चाहिए और गीता पुराण एक हाथ में और संविधान दूसरे हाथ में लेकर चलना चाहिए।
इससे पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि वह हर गांव में हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में जागरूकता फैलाएंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका उद्देश्य न तो राजनीतिक नेतृत्व हासिल करना है और न ही किसी पार्टी के लिए वोट जुटाना है। उनका कहना था, “हम भारत के हैं, भारत हमारा है। हम चाहते हैं कि रामायण फिर से न जलाया जाए। हम मुसलमानों के खिलाफ नहीं हैं। हम भारत को मुक्त करने में एक साथ होंगे, लेकिन अगर हम नियमों का पालन करेंगे, तो हमें इसका फायदा होगा।
मेरठ में सौरभ की हत्या एक ऐसे हादसे के रूप में सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय समाज को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना। यह घटना एक गंभीर सामाजिक संकट को उजागर करती है, जो हमारे समाज में नैतिकता, संस्कारों और मूल्यों के पतन का संकेत है। जब पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस हत्या की निंदा की, तो उन्होंने इसे एक गहरी मानसिकता और नैतिक लचरता का परिणाम बताया। उनके अनुसार, ऐसे मामलों में केवल कानून का नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी बनती है कि वह एक मजबूत और संस्कारित समाज की ओर बढ़े।
रामचरितमानस और भारतीय मूल्य
पंडित शास्त्री ने इस हत्या के बाद रामचरितमानस का हवाला दिया, जिसे उन्होंने भारतीय समाज का एक आधार स्तंभ बताया। उनका कहना था कि जब तक हम अपने बच्चों और समाज को धार्मिक और नैतिक शिक्षा नहीं देंगे, तब तक समाज में इस तरह की घटनाएं घटती रहेंगी। रामचरितमानस के विचारों का पालन करके समाज को नैतिक रूप से सशक्त किया जा सकता है, ताकि ऐसी हिंसा की घटनाओं पर काबू पाया जा सके। उनके अनुसार, भारतीय समाज को अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं के प्रति सम्मान बढ़ाना होगा, ताकि हर व्यक्ति जिम्मेदार और संस्कारित बन सके।
इतिहास और राष्ट्रवाद की बात
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी इस मामले पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास को सही रूप से प्रस्तुत करना बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर उन तत्वों को हटाना जो देश के लिए हानिकारक रहे हैं। उनका मानना है कि देश में कुछ स्थानों के नामों को बदलने की जरूरत है, ताकि भारतीय संस्कृति और इतिहास का सम्मान किया जा सके। जब उन्होंने “आंदोलन और क्रांति” की बात की, तो उनका संदेश यह था कि हमें अब शांतिपूर्ण तरीके से नहीं, बल्कि एक आंदोलन के रूप में देश को एकजुट करना होगा। यही समय है जब भारत को अपनी शक्ति और सम्मान का अहसास कराना चाहिए, और इसके लिए हमें सांस्कृतिक क्रांति की जरूरत है।
हिंदू राष्ट्र और सामाजिक समरसता
पंडित शास्त्री ने हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को भी स्पष्ट किया। उनका मानना है कि एक हिंदू राष्ट्र में सभी धर्मों का सम्मान किया जाएगा और लोग अपने धर्म का पालन स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे। उनका यह भी कहना था कि हिंदू राष्ट्र में जातिवाद की राजनीति को समाप्त किया जाएगा और गाय को “राष्ट्रमाता” का दर्जा मिलेगा। यह विचार उन्होंने समाज में बढ़ते जातिवाद और राजनीतिक ध्रुवीकरण के संदर्भ में दिया था, जिससे देश को एकजुट करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
पदयात्रा और जागरूकता का अभियान
पंडित शास्त्री ने देशभर में हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को फैलाने के लिए पदयात्रा का ऐलान किया। दिल्ली से वृंदावन तक यह यात्रा न केवल हिंदुओं को एकजुट करने का उद्देश्य रखती है, बल्कि यह एक संदेश देती है कि देश में धर्म और संस्कृति को फिर से स्थापित करने की जरूरत है। पंडित शास्त्री का मानना है कि हिंदू समाज में एकता लाने के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग अपने धर्म और संस्कारों के प्रति जागरूक हो सकें।
संस्कार और शिक्षा पर जोर
पंडित धीरेंद्र शास्त्री का यह भी मानना है कि भारतीय समाज में बच्चों की संख्या पर नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना चाहिए। “दो बच्चे अच्छे हैं, लेकिन वे उच्च गुणवत्ता वाले होने चाहिए” – यह उनका नारा है, जो एक मजबूत और समृद्ध समाज बनाने की दिशा में आवश्यक कदम है। उनका कहना है कि हमें बच्चों को गीता और संविधान के सिद्धांतों से अवगत कराना चाहिए, ताकि वे जीवन में सही दिशा में बढ़ सकें।
भारत के लिए एक मजबूत संदेश
पंडित शास्त्री का यह संदेश साफ है कि हम एक मजबूत, नैतिक और एकजुट भारत चाहते हैं, जहां समाज के हर वर्ग को अपनी पहचान और सम्मान मिले। उनका उद्देश्य केवल एक धार्मिक राष्ट्र की स्थापना नहीं है, बल्कि एक ऐसा भारत बनाना है जहां विविधता में एकता का संदेश हो और हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलें। यह राष्ट्रवाद का एक सकारात्मक रूप है, जो धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है।