मनोज कुमार का 87 की उम्र में निधन | बॉलीवुड ने खोया ‘भारत कुमार’

मनोज कुमार नहीं रहे: 87 वर्ष की उम्र में बॉलीवुड ने ‘भारत कुमार’ को खो दिया
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार की तड़के मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। 87 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। अपने करियर में देशभक्ति की भावना से भरपूर फिल्मों के लिए लोकप्रिय रहे मनोज कुमार को लोग प्यार से ‘भारत कुमार’ कहकर पुकारते थे।
उनके निधन की खबर ने फिल्म जगत के साथ-साथ उनके लाखों चाहने वालों को गहरे शोक में डाल दिया है।
⚕️ निधन का कारण: उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं
हालांकि परिवार की ओर से कोई आधिकारिक मेडिकल स्टेटमेंट अब तक जारी नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, मनोज कुमार पिछले कुछ समय से वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे। वे लंबे समय से लाइमलाइट से दूर थे और अपने आखिरी समय में गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहे थे।
🎬 फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर
उनके निधन की खबर से फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
निर्देशक अशोक पंडित ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा:
“दिग्गज दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारी प्रेरणा और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के शेर, मनोज कुमार जी अब नहीं रहे… यह इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी क्षति है और हम सभी उन्हें हमेशा याद करेंगे।”
🇮🇳 मनोज कुमार का योगदान – ‘भारत कुमार’ का युग
मनोज कुमार न सिर्फ एक सफल अभिनेता, बल्कि एक प्रभावशाली लेखक और निर्देशक भी थे।
उनकी फिल्में जैसे:
शहीद
उपकार
पूरब और पश्चिम
रोटी, कपड़ा और मकान
क्रांति
इन सभी फिल्मों ने देशभक्ति, सामाजिक मुद्दों और आम आदमी की पीड़ा को बड़े पर्दे पर जीवंत किया। इन्हीं कारणों से उन्हें भारत कुमार की उपाधि मिली। उनकी फिल्में आज भी हर पीढ़ी के दिलों को छू जाती हैं।
🏆 सम्मान और पहचान
मनोज कुमार को 2019 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान “दादा साहेब फाल्के पुरस्कार” से नवाज़ा गया।
उनकी फिल्मों का सादगी और गहराई से भरा अंदाज़ आज भी दर्शकों के ज़हन में ताज़ा है। उनकी फिल्म क्रांति का प्रसिद्ध गीत “जिंदगी की ना टूटे लड़ी, प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी…” आज भी लोगों की ज़ुबान पर है।
🌹 अलविदा भारत कुमार
मनोज कुमार भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कला, विचार और देशप्रेम की भावना भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर रहेगी।