शिवाजी-संभाजी पर टिप्पणी मामला: पत्रकार प्रशांत कोरटकर की पुलिस रिमांड 30 मार्च तक बढ़ी

शिवाजी-संभाजी पर टिप्पणी मामला: प्रशांत कोरटकर की पुलिस रिमांड 30 मार्च तक बढ़ी
पूर्व पत्रकार प्रशांत कोरटकर की पुलिस रिमांड को 30 मार्च तक बढ़ा दिया गया है। शुक्रवार को जब उन्हें कोल्हापुर की अदालत में पेश किया गया, तो एक वकील ने उन पर गाली-गलौज की, हालांकि कोई शारीरिक हमला नहीं हुआ।
क्या है पूरा मामला?
प्रशांत कोरटकर पर आरोप है कि उन्होंने इतिहासकार इंद्रजीत सावंत को धमकी दी और छत्रपति शिवाजी महाराज व उनके पुत्र संभाजी महाराज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। इस विवादित टिप्पणी के कारण सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश फैल गया और उनकी गिरफ्तारी की मांग तेज हो गई।
महाराष्ट्र पुलिस ने कोरटकर को तेलंगाना से गिरफ्तार किया था और कोल्हापुर पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
अदालत की कार्यवाही और बचाव पक्ष की दलील
कोरटकर की गिरफ्तारी के बाद बचाव पक्ष ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति है, इसलिए उसे लंबे समय तक हिरासत में रखना अनुचित होगा। हालांकि, अदालत ने पुलिस रिमांड 30 मार्च तक बढ़ाने का फैसला किया।
इससे पहले, 26 फरवरी को कोरटकर और सावंत के बीच हुई फोन कॉल के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने का मामला दर्ज किया गया था। इस कॉल की रिकॉर्डिंग को सावंत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीवी कश्यप ने 1 मार्च तक कोरटकर को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था।
इसके बाद कोल्हापुर पुलिस ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस संरक्षण को रद्द करने की मांग की।
18 मार्च को कोल्हापुर सत्र न्यायालय ने कोरटकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी, जिससे उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया।