डॉ. निक्कु मधुसूदन: ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने वाले भारतीय वैज्ञानिक

जब हम ब्रह्मांड की बातें करते हैं, तो अक्सर सितारे, ग्रह और आकाशगंगाएं हमारी कल्पना में उभरती हैं। लेकिन इन रहस्यमयी चीज़ों को समझने का कार्य कुछ ही लोगों का होता है — और उन्हीं में से एक नाम है डॉ. निक्कु मधुसूदन का।
एक भारतीय शुरुआत से विश्वविख्यात वैज्ञानिक तक का सफर
डॉ. निक्कु मधुसूदन का जन्म और शिक्षा की शुरुआत भारत में हुई। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT-BHU, वाराणसी) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनका झुकाव विज्ञान की ओर शुरू से था, लेकिन जो उन्हें बाकी सबसे अलग करता है, वह है उनके अंदर की जिज्ञासा — यह जानने की कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं?
इस सवाल ने उन्हें अमेरिका के प्रतिष्ठित Massachusetts Institute of Technology (MIT) तक पहुंचाया, जहां उन्होंने प्रोफेसर सारा सीगर के मार्गदर्शन में अपनी पीएच.डी. पूरी की।
एक्सोप्लैनेट्स की दुनिया में क्रांति
डॉ. मधुसूदन का मुख्य शोध क्षेत्र है एक्सोप्लैनेट्स (Exoplanets) — यानी ऐसे ग्रह जो हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित हैं। वह इन ग्रहों के वायुमंडल, सतह और आंतरिक संरचना का अध्ययन करते हैं। उनके शोध से यह पता लगाने में मदद मिली है कि कौन-कौन से ग्रह जीवन को सपोर्ट करने योग्य हो सकते हैं।
“Hycean Planets” की परिकल्पना
डॉ. मधुसूदन ने “Hycean Planets” का सिद्धांत पेश किया — ये ऐसे ग्रह हैं जिनका वायुमंडल हाइड्रोजन-प्रधान होता है और जिन पर विशाल महासागर हो सकते हैं। ऐसे ग्रहों पर जीवन की संभावना हो सकती है, भले ही वे पृथ्वी जैसे न हों। यह खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानव जाति के भविष्य की संभावनाओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
के2-18बी (K2-18b): जीवन की संभावनाओं की झलक?
डॉ. मधुसूदन की टीम ने एक ग्रह — K2-18b — पर अध्ययन किया, जहां उन्हें ग्रह के वातावरण में कार्बन आधारित यौगिक जैसे मिथेन और कार्बन डाइऑक्साइड मिले। यह जीवन की संभावनाओं की दिशा में एक बड़ा कदम था।
इस खोज ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। नासा से लेकर बीबीसी तक, सभी प्रमुख वैज्ञानिक और समाचार संस्थान इस पर चर्चा करने लगे।
वर्तमान में क्या कर रहे हैं?
डॉ. निक्कु मधुसूदन वर्तमान में University of Cambridge में प्रोफेसर हैं, जहां वे एक्सोप्लैनेट रिसर्च ग्रुप का नेतृत्व करते हैं। वह कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समितियों के भी सदस्य हैं और युवा वैज्ञानिकों को भी मार्गदर्शन देते हैं।
एक प्रेरणा स्त्रोत
डॉ. मधुसूदन न केवल एक वैज्ञानिक हैं, बल्कि वे उन हजारों भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो विज्ञान में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। उन्होंने दिखाया कि अगर सोच विशाल हो, तो इंसान धरती से शुरू होकर ब्रह्मांड तक पहुंच सकता है।