फिरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम महामंडल के तत्वाधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा, ज्ञान यज्ञ एवं विराट संत सम्मेलन में अंतिम दिन श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की लीला का वर्णन सुनकर श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए। कथा के अंत में फूलो की होली हुई। आरती के बाद कथा को विराम दिया गया।
रामलीला मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथाव्यास रामगोपाल शास्त्री ने कहा कि गरीब ब्राह्मण सुदामा के घर की हालत बड़ी दयनीय थी। वह प्रतिदिन पांच घर भिक्षा मांगते थे। वह अपनी पत्नी शकुंतला के कहने पर परम मित्र भगवान श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका के लिए चल पड़ते है। सुदामा द्वारिका में भगवान श्रीकृष्ण के महल में खड़े द्वारपालो से कहते है कि मुझे श्रीकृष्ण से मिलना और वे मेरे बचपन के साखा है। द्वारपाल ने भगवान श्रीकृष्ण को सुदामा का संदेश देते है।
भगवान श्रीकृष्ण नंगे पैर ही अपने साखा सुदामा से मिलने पहुंच जाते है। मित्र को गले से लगा लिया और अंदर महल में ले गए। श्रीकृष्ण-सुदामा के अद्भूम मिलन की लीला को देख भक्तगण मंत्र मुग्ध हो गये। कथा के अंत में फूलो की होली खेली गई। कार्यक्रम में संतजनों का स्वागत और आरती करने वालों में मनोज यादव, मधु एवं उमेश अग्रवाल, अनूपचंद जैन एड, द्विजेंद्र मोहन शर्मा, उमाकांत पचैरी एड, रमाकांत उपाध्याय, अंकित यादव, सुरेश मित्तल, राजकुमार गुप्ता, फूल सिंह, बालकिशन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, संजय अग्रवाल, प्रवीण अग्रवाल, उम्मेद सिंह यादव, संजय शर्मा, सोमेश यादव आदि मौजूद रहे।