फिरोजाबाद। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव का मोक्ष कल्याणक महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। दूरदराज से हजारों श्रद्धालुओं ने अतिशय क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया। जिनालयों में अनेकों धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। विधि विधान से मन्त्रोंच्चारण के साथ भगवान आदिनाथ का निर्वाण लाडू चढ़ाया गया।
आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र मरसलगंज में भगवान आदिनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रातः 7 बजे नित्य नियम पूजा के पश्चात मुंबई से पधारे जिन भक्त राहुल जैन एवं धन्य कुमार जैन द्वारा प्रातः 9 भगवान आदिनाथ की विशालकाय प्रतिमा का मस्तकाभिषेक एवं विधान किया। ध्वजारोहण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
श्री जी की पाण्डुक शिला के विशाल मंच जा उद्घाटन किया। पाण्डुक शिला पर विराजमान भगवान आदिनाथ का जिनाभिषेक एवं शांतिधारा की गई तत्पश्चात् मंदिर प्रांगण में हजारों की संख्या उपस्थित जिनभक्तों ने संगीत की मधुर ध्वनि पर तीन बजे मंदिर प्रांगण में पूर्ण विधि विधान से भगवान का निर्वाण लाडू चढ़ाया। लाडू के समय बेंड बाजों की मधुर ध्वनि बजती रही। कार्यक्रम का संचालन संजय जैन पीआरओ एवं सतेंद्र जैन साहू, आदीश जैन ने किया।
नगर के विभिन्न जैन मंदिरों में निर्वाण लाडू चढाया गया। सभी कार्यक्रम जैन मुनि के सानिध्य में हुए। आचार्य वसुंनंदी गुरुदेव के सानिध्य में श्री चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर एवं मुनि श्री अमित सागर गुरुदेव के सानिध्य में श्री शीतल नाथ दिगम्बर जैन मंदिर नसिया जी में भगवान आदिनाथ का निर्वाण लाडू चढ़ाया गया।
इस अवसर पर जय प्रकाश जैन, पुष्पेंद्र जैन, चंद्र प्रकाश जैन, मनीष जैन, प्रमोद जैन, प्रदीप जैन, अशोक कुमार जैन, राजेश जैन सरल, अतुल जैन, दिलीप जैन, ललित जैन, डेविड जैन, राजेश जैन, गौरव जैन, मुकेश जैन, भानु कुमार जैन, सचिन जैन, अक्षत जैन, अंशुल जैन, नीरज जैन, प्रिंस जैन आदि मौजूद रहे।
-गाजे बाजे के साथ निकली श्री जी की पालकी यात्रा
फिरोजाबाद। आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जैन गली के जिनालय में जिनभक्तों द्वारा श्री जी की पालकी यात्रा निकाली गई जो जिन मंदिर से प्रारम्भ होकर श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, लक्ष्मी नगर होते हुए वापस जिनालय पहुंची। पालकी यात्रा में स्त्री पुरुष एवं बच्चे बेंड बाजों की मधुर ध्वनि पर थिरकते हुए आगे आगे चल रहे थे और उनके पीछे पीछे पीत एवं स्वेत वस्त्र में इंद्रस्वरुप धारण किये जिनभक्त श्री जी को स्वर्ण पालकी में विराजमान कर अपने कंधे पर उठा कर चल रहे थे। पालकी यात्रा के जिनालय पहुँचने के पश्चात् जिनभक्तों द्वारा श्री जी को विराजमान कर प्रासुक जल से जिनाभिषेक किया गया