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फिरोजाबाद: सुहागनगरी में मंगल कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा एवं विराट संत सम्मेलन का शुभारम्भ

संत समागम से जीवन का लोक और परलोक दोनों ही आनंदमय हो जाते है-सत्यानंद महाराज

फिरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम महामंडल के तत्वाधान में आयोजित 43 वाॅ श्रीमद् भागवत कथा एवं विराट संत सम्मेलन का शुभारम्भ राधा कृष्ण मंदिर से भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। शोभायात्रा में 751 सौभाग्यवती महिलाओं पीत वस्त्र पहनकर सिर पर मंगल कलश धारण कर चल रही थी। शोभायात्रा का मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया।

शुक्रवार को राधाकृष्ण मंदिर से भव्य कलश यात्रा का शुभारम्भ महापौर नूतन राठौर, संतोष अग्रवाल तथा पंकज अग्रवाल ज्वेलर्स ने हरी झंडी दिखाकर किया गया। शोभायात्रा छोटा चैराहा, घंटाघर, सदर बाजार, शास्त्री मार्केट, गंज चैराहा, पुराना डाकखाना चैराहा, रामलीला चैराहा होते हुए रामलीला मैदान पांडाल में पहुंचकर सम्पन्न हुई। शोभायात्रा मेें 751 सौभाग्यवती महिलाओं पीत वस्त्र पहनकर सिर पर मंगल कलश धारण कर चल रही थी। यात्रा में विभिन्न रथों पर सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज सहित अन्य संत भी विराजमान थे। शोभायात्रा का मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।

वहीं रामलीला मैदान पांडाल में कलश यात्रा का स्वागत संजय मित्तल, भगवान दास बंसल के साथ ही डॉक्टर सुकेश यादव चांसलर जेएस यूनिवर्सिटी ने दीप प्रज्वलन और पीठाधीश्वर सत्यानंद महाराज का स्वागत कर किया। भागवत व्यास पंडित राम गोपाल शास्त्री द्वारा भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए श्रीमद्भभागवत कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा भागवत कथा के श्रवण से प्राणी को मुक्ति मार्ग प्राप्त होता है। जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। भागवत कथा जीवन जीने का आधार सिखाती है जिससे प्राणी मात्र में सकारात्मक ऊर्जा का नया संचार करके जीवन की निराशा को दूर कर आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति कराती है।

संत सम्मेलन में स्वामी सत्यानंद महाराज ने सत्संग महिमा पर चर्चा करते हुए कहा संतो के सत्संग से धर्म अधर्म और सत्य असत्य का बोध होता है। उन्होंने कहा बिनु सत्संग विवेक न होई बिना सत्संग के प्राणी मात्र को आत्मज्ञान की अनुभूति नहीं होती है। ईश्वर का सानिध्य और जीवन को आनंदमय बनाने का ज्ञान गुरू और संतों के सानिध्य से ही मिल पाता है। संत समागम से जीवन का लोक और परलोक दोनों ही आनंदमय हो जाते हैं। इसके अलावा स्वामी प्रज्ञानंद महाराज, स्वामी भारतानंद, निगमानंद, महाराज ज्ञानानंद, महाराज शुकदेवानंद महाराज एवं अन्य संत जनों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

भागवत कथा के परीक्षित धर्मेंद्र कुमार शर्मा एवं सरिता शर्मा तथा एक यज्ञपति राकेश यादव और सरला यादव कलश यात्रा के साथ चल रहे थे। कलश यात्रा में चंद्र प्रकाश शर्मा, द्विजेंद्र मोहन शर्मा, सर्वेश दीक्षित, उमाकांत पचैरी एडवोकेट, अनूप चंद जैन एडवोकेट, मनोज शर्मा, अनुपमा शर्मा, संजय अग्रवाल, रमाकांत उपाध्याय, राकेश शर्मा महेंद्र कुमार छोटे, शिवनारायण यादव लाला, चैधरी मातादीन यादव, गोपाल बिहारी अग्रवाल, कृष्ण कांत गुप्ता, मनोहर लाल अनिल वार्ष्णेय, विकास लहरी, कपिल अग्रवाल, सोमेश यादव, जगदीश यादव, कुंवर सिंह परमार, विपिन कुमार शर्मा, पवन दीक्षित, हरिओम वर्मा पार्षद, प्रमोद राजोरिया पार्षद, अनुग्रह गोपाल, अश्वनी शर्मा, महेश चंद यादव, प्रमोद महेश्वरी, प्रवीण कुमार अग्रवाल, अजीत अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, विजय अग्रवाल, सुरेंद्र नागर, नितिन शर्मा, विद्याराम राजोरिया, नरेश अग्रवाल, श्याम बाबू यादव, नरेश वार्ष्र्णेय आदि मौजूद रहे।

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