फिरोजाबाद। हनुमान जयंती महोत्सव समिति के तत्वाधान में रामलीला मैदान में चल रही रामकथा में हरिद्वार से पधारी साध्वी डाॅ विश्वेश्वरी देवी ने राम-भरत मिलन की कथा का मनमोहक वर्णन किया। भाई-भाई के प्रेम की कथा सुन भक्तगण प्रफुल्लित हो उठे।
साध्वी डाॅ विश्वेश्वरी देवी ने कहा कि जब भरत अयोध्या से श्रीराम से मिलने चित्रकूट पहुंचे, तो उनको मार्ग में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने सारी बाधाओं को पार करते हुए चित्रकूट में श्रीराम से मिलन हुआ। भरत चित्रकूट से भगवान की चरण पादुकाओं को सिर पर रखकर अयोध्या पहुंचे। वहाॅ पर उनकी चरण पादुकाओं को सिंहासन पर रखकर चैदह बर्ष तक नंदीग्राम में बनवासी का रूप रखकर सेवा करते रहे।
उन्होंने कहा कि दोनों भाई सम्मति और सुखों का त्याग करने के लिए उद्यट थे और विपत्तियों को अपना चाहते थे। यहीं मातृ प्रेम है। वर्तमान समय में भाई सम्पत्ति को बांटता है, विपत्ति को नहीं। यदि भाई-भाई विपत्ति को बांटने लगे तो संसार में परिवार की समस्याओं का समाधान हो जायेंगा। आज भाई-भाई का प्रेम न जाने कहां चला गया है। भरत और राम दोनों भाईयो का प्रेम से हम सभी को संदेश लेना चाहिए। रामकथा में मंदिर महंत जगजीवन राम इंदु गुरू जी के अलावा रामभक्त मौजूद रहे।