30 सितंबर 2024 को दिल्ली बॉर्डर पर सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। यह समूह लद्दाख से 700 किलोमीटर लंबी ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ पर निकला था, जिसका मुख्य उद्देश्य लद्दाख को संविधान के छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिलाना था। जैसे ही ये लोग दिल्ली की सीमा पर पहुंचे, पुलिस ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने का हवाला देते हुए इन्हें रोका और हिरासत में ले लिया।
इस पदयात्रा में लगभग 150 लोग शामिल थे, जिनमें कई बुजुर्ग और सेना के पूर्व अधिकारी भी थे। सोनम वांगचुक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए बताया कि यह यात्रा पूरी तरह से शांतिपूर्ण थी, और उनका मकसद महात्मा गांधी की समाधि तक पहुंचना था। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने 1000 से अधिक कर्मियों की तैनाती के साथ उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। हिरासत में लिए गए लोगों को अलिपुर और अन्य पुलिस थानों में भेजा गया। इस बीच, पुलिस ने धारा 163 के तहत 5 अक्टूबर तक दिल्ली में पाँच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा रखी थी, जिसके कारण इस प्रदर्शन को आगे नहीं बढ़ने दिया गया।
राहुल का पीएम मोदी पर अटैक
सोनम वांगचुक की हिरासत पर राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक तीखा हमला करते हुए पीएम मोदी को निशाना बनाया। राहुल गांधी ने कहा, “पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण मार्च कर रहे सोनम वांगचुक जी और सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है। जो लोग लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े हैं, उन्हें दिल्ली की सीमा पर क्यों रोका जा रहा है? मोदी जी, जैसे किसानों का आंदोलन चक्रव्यूह तोड़ने में सफल रहा, वैसे ही यह संघर्ष भी आपके अहंकार को तोड़ेगा। आपको लद्दाख की आवाज सुननी पड़ेगी।
आखिर मामला क्या है
सोनम वांगचुक काफी समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों में आरक्षण सुनिश्चित करने, लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग संसदीय सीटें, और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर सक्रिय रूप से प्रदर्शन कर रहे हैं।
मार्च 2024 में, उन्होंने 21 दिनों तक भूख हड़ताल की थी। हड़ताल खत्म करने के बाद सोनम ने कहा था कि यह आंदोलन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपने संघर्ष को जारी रखेंगे।
आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का पुनर्गठन किया गया था। इसके तहत लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला, लेकिन स्थानीय लोग, विशेषकर लेह और कारगिल के निवासी, खुद को राजनीतिक रूप से हाशिए पर महसूस करने लगे। पिछले कुछ वर्षों से वे अपनी जमीन, नौकरियां और पहचान की सुरक्षा के लिए राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं, जो पहले आर्टिकल 370 के तहत सुरक्षित थे।
केंद्र सरकार ने इन मांगों पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया, लेकिन बातचीत सफल नहीं रही। मार्च 2024 में, लद्दाख के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जहां यह स्पष्ट हुआ कि केंद्र ने उनकी मांगें मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद वांगचुक ने लेह में भूख हड़ताल शुरू की थी।