“पीयूष गोयल बनाम ज़ेप्टो CEO: ‘डिलीवरी बॉय’ टिप्पणी पर बहस – नौकरियाँ बनाम टेक्नोलॉजी”

1.5 लाख नौकरियाँ, ₹1000 करोड़ टैक्स”: ज़ेप्टो CEO ने पीयूष गोयल के ‘डिलीवरी बॉय’ वाले बयान का जवाब दिया
क्या हुआ?
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्टार्टअप महाकुंभ 2025 में एक बयान देकर बहस छेड़ दी। उन्होंने कहा कि क्या भारतीय स्टार्टअप सिर्फ “डिलीवरी बॉय और गर्ल्स” बनकर रह जाएंगे या वास्तव में इनोवेशन करेंगे? इस पर ज़ेप्टो के CEO आदित पालिचा ने जोरदार जवाब दिया है।
ज़ेप्टो CEO का क्या कहना है?
आदित पालिचा ने X (ट्विटर) पर एक पोस्ट लिखकर बताया कि उनकी कंपनी ने:
✅ 1.5 लाख लोगों को रोज़गार दिया है
✅ सरकार को हर साल ₹1000+ करोड़ टैक्स दिया है
✅ भारत में $1 बिलियन से ज़्यादा FDI (विदेशी निवेश) लाया है
✅ फल-सब्जियों की सप्लाई चेन को बेहतर बनाया है
उन्होंने कहा, “अगर यह ‘भारतीय इनोवेशन’ नहीं है, तो फिर क्या है?”
पीयूष गोयल ने क्या कहा था?
मंत्री गोयल ने कहा था कि भारतीय स्टार्टअप सिर्फ फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स पर फोकस कर रहे हैं। उनका सवाल था:
“क्या हम सिर्फ अमीरों के लिए खाना पहुँचाने वाले बनकर रह जाएँगे? क्या हम AI, टेक और मैन्युफैक्चरिंग में दुनिया को टक्कर नहीं देंगे?”
क्या है असली मुद्दा?
🔹 ज़ेप्टो जैसी कंपनियाँ कहती हैं कि वे रोज़गार और इकोनॉमी बढ़ा रही हैं।
🔹 सरकार चाहती है कि स्टार्टअप हार्डकोर टेक्नोलॉजी में भी आगे बढ़ें।
लोग क्या कह रहे हैं?
- स्टार्टअप फाउंडर्स का कहना है कि ई-कॉमर्स और डिलीवरी सेक्टर भी जॉब्स पैदा कर रहा है।
- एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को Google, Amazon जैसी ग्लोबल टेक कंपनियाँ बनाने की ज़रूरत है।
आगे क्या होगा?
इस बहस के बाद 3 बड़े सवाल उठे हैं:
1️⃣ क्या फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स वाला मॉडल सही है?
2️⃣ क्या भारत AI और मैन्युफैक्चरिंग में भी लीडर बन सकता है?
3️⃣ सरकार और स्टार्टअप्स को साथ मिलकर कैसे काम करना चाहिए?
क्या आपकी क्या राय है?
क्या आपको लगता है कि ज़ेप्टो जैसी कंपनियाँ देश के लिए अच्छी हैं? या फिर भारत को टेक्नोलॉजी में और इनोवेशन करना चाहिए? कमेंट में बताएँ!
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?
✔️ स्टार्टअप और सरकार के बीच बहस
✔️ रोज़गार बनाम टेक्नोलॉजी पर बड़ी चर्चा
✔️ भारत के भविष्य को प्रभावित करने वाला मुद्दा