प्रशांत किशोर: भारत के सबसे बड़े चुनावी रणनीतिकार की कहानी और उनकी सफलता

भारतीय राजनीति में कई नेता और रणनीतिकार आए हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे नाम हैं जिन्होंने राजनीति की परिभाषा को नए आयाम दिए हैं। प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ऐसा ही एक नाम है, जिन्होंने अपने चुनावी अभियानों और रणनीतियों के दम पर कई राजनीतिक दलों को जीत दिलाई है।
चाहे 2014 का लोकसभा चुनाव हो या विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव, प्रशांत किशोर की रणनीतियों ने भारतीय राजनीति में एक नया ट्रेंड सेट किया है। उनकी रणनीति, डेटा विश्लेषण और चुनावी मैनेजमेंट की कुशलता ने उन्हें भारत का सबसे सफल “पोलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट” बना दिया है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे प्रशांत किशोर की जीवनी, उनके करियर, प्रमुख राजनीतिक अभियानों और उनकी सफलता की कहानी के बारे में।
प्रशांत किशोर का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
🔹 पूरा नाम – प्रशांत किशोर (Prashant Kishor)
🔹 जन्म तिथि – 1977 (सटीक तिथि ज्ञात नहीं)
🔹 जन्म स्थान – बक्सर, बिहार, भारत
🔹 शिक्षा – इंजीनियरिंग (संभावित रूप से)
🔹 प्रोफेशन – चुनाव रणनीतिकार, राजनीतिक सलाहकार, डेटा एनालिस्ट
प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के बक्सर जिले में हुआ था। उनके बारे में ज्यादा व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) के लिए काम किया।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के रूप में की थी और कई वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के साथ जुड़े रहे। हालांकि, बाद में उन्होंने भारतीय राजनीति में कदम रखा और चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाई।
राजनीति में प्रवेश और पहली बड़ी सफलता (2014 लोकसभा चुनाव)
प्रशांत किशोर पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में सुर्खियों में आए, जब उन्होंने नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान की रणनीति तैयार की।
🔹 2012 में प्रशांत किशोर ने “सिटिजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG)” नाम की एक संस्था बनाई।
🔹 इस संस्था के जरिए उन्होंने नरेंद्र मोदी के “चाय पर चर्चा” और “3D होलोग्राम रैलियों” जैसी योजनाएं तैयार कीं।
🔹 BJP की ऐतिहासिक जीत (282 सीटें) के पीछे प्रशांत किशोर की रणनीति को अहम माना गया।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रशांत किशोर ने BJP छोड़ दी और अन्य दलों के साथ काम करना शुरू किया।
2015 बिहार विधानसभा चुनाव – नीतीश कुमार और महागठबंधन की जीत
🔹 2015 में नीतीश कुमार (JDU), लालू प्रसाद यादव (RJD) और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा।
🔹 प्रशांत किशोर को इस चुनाव की पूरी रणनीति बनाने की जिम्मेदारी दी गई।
🔹 उन्होंने “बिहारी बनाम बाहरी” का नारा दिया और “हर घर दस्तक” जैसी योजना चलाई।
🔹 परिणामस्वरूप महागठबंधन ने BJP को हराकर 178 सीटें जीत लीं।
🔹 इस जीत के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को JDU में उपाध्यक्ष बनाया।
अन्य महत्वपूर्ण चुनावी रणनीतियां
2017 – पंजाब विधानसभा चुनाव (कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह की जीत)
🔹 प्रशांत किशोर ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए रणनीति बनाई और “कप्तान दी सौं” और “हर घर कप्तान” जैसे अभियान चलाए।
🔹 नतीजों में कांग्रेस ने 117 में से 77 सीटें जीतकर प्रचंड जीत हासिल की।
2019 – आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव (YSR कांग्रेस की जीत)
🔹 YS जगनमोहन रेड्डी के लिए प्रशांत किशोर ने रणनीति बनाई और “प्रजा संकल्प यात्रा” अभियान चलाया।
🔹 परिणामस्वरूप YSR कांग्रेस ने 175 में से 151 सीटें जीत लीं।
2020 – दिल्ली विधानसभा चुनाव (AAP की जीत)
🔹 प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल और AAP के लिए रणनीति बनाई।
🔹 उन्होंने “काम किया है, काम करेंगे” और “केजरीवाल की सरकार” जैसे नारे दिए।
🔹 नतीजों में AAP ने 70 में से 62 सीटें जीत लीं।
2021 – पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (TMC की जीत)
🔹 प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी के लिए रणनीति बनाई और “बंगाल अपनी बेटी को चाहता है” (Bangla Nijer Meyeke Chay) अभियान चलाया।
🔹 TMC ने BJP को हराकर 213 सीटें जीतीं।
प्रशांत किशोर की राजनीतिक सोच और रणनीति
✔ डेटा एनालिसिस पर फोकस: चुनावों में डाटा साइंस, बूथ मैनेजमेंट और सोशल मीडिया कैंपेन का इस्तेमाल करना।
✔ जमीनी रणनीति: हर घर दस्तक, पर्सनल कनेक्ट और फील्ड सर्वे पर जोर देना।
✔ कैम्पेन ब्रांडिंग: हर चुनाव में एक मजबूत नारा देना, जैसे – “चाय पर चर्चा” (2014), “बिहारी बनाम बाहरी” (2015), “बंगाल अपनी बेटी को चाहता है” (2021)।
✔ राजनीतिक दलों से स्वतंत्रता: प्रशांत किशोर किसी एक पार्टी से नहीं जुड़े, बल्कि हर चुनाव में अलग-अलग दलों के लिए काम किया।
प्रशांत किशोर का मौजूदा करियर और “जन सुराज” अभियान
🔹 2022 में प्रशांत किशोर ने “जन सुराज” नाम से एक अभियान शुरू किया।
🔹 इसका उद्देश्य बिहार में एक नई राजनीतिक सोच विकसित करना है।
🔹 वह बिहार के अलग-अलग जिलों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।