फिरोजाबाद: शुद्वता की जांच करने वाले घूसखोरी मे खेल रहे मिलावट का खेल
-100 रू. शुल्क वाले लाइसेंस को बनाने के मांगे गये थे दो हजार रू.
फिरोजाबाद। मिलावट के इस युग में शुद्रण खानपान मिलना उतना ही मुश्किल है, जितना किसी सरकारी विभाग में विभाग से ही संबंधित किसी भी कार्य को सरलता व सहजता से कराना। जिसकी जीता जागता उदाहरण बीते दिन आपके अपने एच.एन.ए न्यूज बेबसाइड को एक खास विश्वसनीय सूत्र द्वारा उपलब्ध कराएं गए स्क्रीन शाॅट के बाद देखने को मिला। जिसके बाद एच.एन.ए न्यूज ने ’’मिलावट की जांच करने वाले लाइसेंस के नाम पर लाइसेंस के नामक शीर्षक की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था।
खबर जैसे ही वायरल हुई तो सबंधित विभाग में हलचल पैदा हो गई। रिश्वत की मांग करने वाले कर्मचारी से लेकर विभाग के उच्च अधिकारी मामले को एक अलग ही एंगल देने में जुट गए। साथ ही रिश्वत खोरी की शिकायत व सबूत देने वाले एच.एन.ए न्यूज के गुप्त सूत्र की नाम व पता लगाने में जुटे दिखाई दिए। अब तक मिली जानकारी के अनुसार जिस स्क्रीन शाॅट में दो हजार रू. रिश्वत की मांग की जा रही है, उस स्क्रीन शाॅट में दिखाई पड़ रहा नॅबर खाद्य विभाग के अंकुश उपाध्याय नामक एक कर्मचारी का है। जो कि अति लघु खाद्य व्यापार वाले एक वर्षीय लाइसेंस बनाने के दो हजार रू. की डिमांड कर रहा है।
जबकि उक्त लाइसेंस को बनवाने के लिए मात्र 100 रू. सरकारी फीस लगती है। सर्वदित है कि शहर भर में चलने वाले जनसेवा केंद्र उक्त लाइसेंस को बनाने के लिए 500 से लेकर 1000 हजार रू. तक की मांग करते है, लेकिन जनसेवा केंद्र एक हफ्ते में उपलब्ध कराते है। इसी का फायदा उठाते हुए विभाग के कर्मचारी सरकारी फीस से कई गुना रकम बसूल कर तुरंत लाइसेंस बनाने का जिम्मा उठा लेते है। रिश्वत की चका चैंद में लाइसेंस जारी करने के लिए तय मानक व नियमों को दर किनार कर दिया जाता है। विभागीय कर्मी दो हजार रिश्वत की मांग को एक अन्य लाइसेंस की फीस बता रहे है।
जिसकी वास्तव में सरकारी फीस दो हजार रू. है, लेकिन पीड़ित का स्पष्ट रूप से कहना है कि उसने एक वर्ष वाले लाइसेंस को बनवाने के लिए पंजीकरण कराया था। तथा वहीं लाइसेंस ही पीड़ित को उपलब्ध कराया गया है। जिसकी सरकारी फीस 100 रू. है। अब देखना बाकी है कि संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों से लेकर जनपद के जिलाधिकारी इस ओर ध्यान देते है, कि चांदी का चका चैंद में भी लाइसेंस जारी होगे।