आरबीआई गवर्नर द्वारा रेपो रेट में कटौती: क्या होगा भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 फरवरी 2025 को अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती की घोषणा की। अब रेपो रेट 6.50% से घटकर 6.25% हो गया है। यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों—बैंकिंग, रियल एस्टेट, निवेश और उपभोक्ता बाजारों—पर गहरा प्रभाव डालेगा। आइए जानते हैं कि इस फैसले के पीछे का कारण और इसके दूरगामी प्रभाव क्या होंगे।
रेपो रेट क्या होता है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंकों को सस्ते दर पर कर्ज मिलता है, जिससे वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं। इसके विपरीत, जब रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंकों की उधारी महंगी हो जाती है, जिससे लोन पर ब्याज दरें भी बढ़ जाती हैं।
रेपो रेट में कटौती का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, निवेश को बढ़ावा देना और महंगाई को नियंत्रित करना होता है।
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती के पीछे का कारण
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस फैसले के पीछे कई कारण हैं:
- महंगाई दर में गिरावट – दिसंबर 2024 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) डेटा के अनुसार, महंगाई दर 4.8% थी, जो आरबीआई के लक्ष्य 4-6% के दायरे में आ गई है।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देना – भारतीय अर्थव्यवस्था में जीडीपी ग्रोथ रेट को और अधिक गति देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
- लोन लेने वालों को राहत देना – होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों को कम करने के लिए रेपो रेट घटाया गया है।
- बाजार में नकदी प्रवाह बनाए रखना – इससे व्यापार और इंडस्ट्री में निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा।
रेपो रेट में कटौती का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव
1. लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी
अगर आपने होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लिया हुआ है या लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।
- ब्याज दरों में कमी आएगी, जिससे ईएमआई (EMI) कम होगी।
- जिनके पास फ्लोटिंग रेट लोन हैं, उन्हें ब्याज दर में तुरंत राहत मिलेगी।
- नए लोन लेने वालों के लिए यह आदर्श समय हो सकता है।
2. रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा
- जब लोन सस्ते होंगे, तो घर खरीदने की मांग बढ़ेगी, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को फायदा होगा।
- बिल्डर्स और डेवलपर्स नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे।
- कम ब्याज दरों के कारण होम लोन की मांग में वृद्धि होगी।
3. शेयर बाजार पर असर
- ब्याज दरों में कटौती से बाजार में लिक्विडिटी (नकदी प्रवाह) बढ़ेगी, जिससे शेयर बाजार को मजबूती मिलेगी।
- बैंकिंग और वित्तीय कंपनियों के शेयरों में बढ़त देखने को मिल सकती है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी लाभ मिलेगा।
4. एफडी (Fixed Deposit) निवेशकों के लिए चिंता
- बैंक एफडी की ब्याज दरों में कमी हो सकती है, जिससे निवेशकों को कम रिटर्न मिलेगा।
- वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड व्यक्तियों, जो एफडी पर निर्भर रहते हैं, के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है।
- म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश करने वालों को अधिक लाभ मिल सकता है।
क्या यह आम जनता के लिए सही कदम है?
✔️ फायदे:
✅ लोन सस्ते होंगे, जिससे घर, कार और व्यापार के लिए लोन लेना आसान होगा।
✅ रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को फायदा मिलेगा।
✅ शेयर बाजार में तेजी आएगी, जिससे निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलेगा।
❌ नुकसान:
❌ बैंक एफडी और छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में गिरावट हो सकती है।
❌ बचतकर्ताओं को अब अपनी निवेश रणनीति में बदलाव करना होगा।