टूंडला। नगर के स्टेशन रोड पर स्थित रॉयल गार्डन में विद्यार्थी कार्य विभाग द्वारा युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख नरेंद्र रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी तस्तानंद, विवेकानंद वेदांत मिशन टूंडला ने की। कार्यक्रम का संचालन अनिल कुमार जिला विद्यार्थी प्रमुख ने किया।
मुख्य वक्ता नरेंद्र ने कहा कि भारत में रहकर कई लोग देश विरोधी बातें करते थे और भारत मां को डायन कहते थे आज वही लोग जेल की सलाखों के पीछे हैं। हमने हजारों मंदिरों को टूटते हुए देखा है आज खुदाई में कई मंदिर वर्षों पुराने निकल के आए हैं जिनकी प्राण प्रतिष्ठा कराई गई है और पूजा भी शुरू की गई है।
मुख्य वक्ता ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था।उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।स्वामी विवेकानंद एक ऐसे संत थे जिनके रोम का हर कण राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत था। राष्ट्र के दीन-हीन लोगों की सेवा को ही विवेकानंद ईश्वर की सच्ची पूजा मानते थे।उन्होंने युवाओं के हृदय को जितना झंकृत किया, उतना शायद किसी और ने किया हो।विवेकानंद ने करोड़ों देशवासियों को समृद्ध करना ही अपना जीवन लक्ष्य बनाया था।
उन्होंने 4 जुलाई सन् 1902 को देह त्याग किया था।वे भारत के महान संत,आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे।उन्होंने बताया कि भ्रमण के दौरान स्वामी विवेका नंद टूंडला के बन्ना आश्रम पर एक सप्ताह के लिए रुके थे जहां उनकी मूर्ति भी लगी हुई है यदि युवा उनकी पत्रावली पढ़े तो उनका जीवन निखर जाएगा। स्वामी विवेकानंद 9 जुलाई 1887 से 15 जुलाई 1887 तक रुके थे।मुख्य वक्ता ने स्वामी विवेकानंद के कुछ विचार व्यक्त किये जिनमें स्वामी विवेकानंद के अनुसार खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं।वो हमी हैं,जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।उठो,जागो और तब तक नहीं रुको,जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए।जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएं अपना जल समुद्र में मिला देती हैं,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग चाहे वह अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है।इस दौरान सैकड़ो विद्यार्थियों ने युवा सम्मेलन में भाग लिया।वहां मुख्य रूप से जिला प्रचारक सोनवीर,जिला संघचालक राम लखन,जिला कार्यवाह यदुवंश पलिया आदि स्वयंसेवक उपस्थित रहे।