भद्राकाल के बाद होगा होलिका दहन, जानें क्या रहेगा मुहूर्त

होली का पावन पर्व और होलिका दहन का महत्व
होली का त्योहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है। यह परंपरा प्रह्लाद और होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है, जिसमें भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अपनी कृपा बरसाई और दुष्ट होलिका जलकर भस्म हो गई।
भद्राकाल और होलिका दहन
शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन का कार्य भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता, क्योंकि यह समय अशुभ और बाधाओं से भरा होता है। यदि इस समय में होलिका दहन किया जाए, तो यह हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए पंचांग के अनुसार भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना उचित होता है।
होलिका दहन 2025 का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष होलिका दहन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
📅 तारीख: 13 मार्च 2025
⏳ शुभ मुहूर्त: रात 9:00 बजे से 11:30 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है)
🚫 भद्राकाल समाप्ति: रात 8:45 बजे
होलिका दहन से पहले पूजा करना और सही विधि से अग्नि प्रज्वलित करना बेहद आवश्यक है। परिवार के सभी सदस्य एकत्र होकर होलिका की परिक्रमा करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
कैसे करें होलिका दहन की पूजा?
- शुद्ध स्थान का चयन करें: होलिका दहन के लिए एक स्वच्छ स्थान पर लकड़ियां, उपले और अन्य पूजन सामग्री रखें।
- गंगा जल से शुद्धिकरण करें: होलिका दहन स्थल पर गंगा जल का छिड़काव करें।
- हल्दी-कुमकुम अर्पण करें: होलिका पर हल्दी, कुमकुम, चावल, नारियल और फूल अर्पित करें।
- होलिका की परिक्रमा करें: परिवार के सभी सदस्य कच्चे धागे से होलिका की परिक्रमा करें और गुड़, मूंगफली, नारियल आदि अर्पित करें।
- शुभ संकल्प लें: इस अवसर पर बुरी आदतों और नकारात्मकता को त्यागने का संकल्प लें।
होलिका दहन के लाभ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, होलिका दहन नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो इस समय मौसम में परिवर्तन होता है, और होलिका की अग्नि से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
- यह पर्व सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है, जहां लोग आपसी मनमुटाव भूलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं।