शिकोहाबाद: अपनी शान निराली, अपना वैभव जिंदाबाद……

-काव्य गोष्ठी में कवियों ने रचनाओं को सुना कर श्रोताओं को खूब हंसाया
शिकोहाबाद। साहित्य, संगीत, कला को समर्पित संस्था शब्दम् के तत्वावधान में बसंत पर्व के उपलक्ष्य में बसंत काव्य गोष्ठी’ का आयोजन हिंद लैम्प्स परिसर स्थित संस्कृति भवन में हुआ। काव्य गोष्ठी में आमंत्रित कवियों ने अपनी काव्य रचनाओं को सुना कर श्रोताओं को बसंत के दर्शन कराये।
आगंतुक कवियों में बदन सिंह मस्ताना, आशोक मथुरिया, प्रवीन पाण्डेय एवं सतेन्द्र निर्झर ने अपनी काव्य रचनाओं को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में शब्दम् अध्यक्ष किरण बजाज का ऑडियो संदेश सुनाया गया। कार्यक्रम में कवि बदन सिंह मस्ताना की कविता ब्रज मण्ड़ल सो लगे सलोनो और न कोउ ठांउ, राधा पियसो जाए इठलावे कागा की हो कांउ ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कवि अशोक मथुरिया ने अपने गीत सइयां लेचल मोकूं गांव, शहर में नहीं रह पाउंगी पर सभागार में उपस्थित श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं। कवि प्रवीन पाण्डेय के गीत अपनी शान निराली अपना वैभव जिंदाबाद, हम हैं नगर फिरोजाबाद को श्रोताओं ने खूब सराहा। कवि सतेन्द्र निर्झर ने अपनी कविता पावन अनुपम सुखधाम बड़ो नीको लागे, जगसो न्यारों ब्रजधाम बड़ो नीको लागे ने श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
इस बसंत काव्य संध्या का एक प्रमुख आकर्षण चर्चित कवि और विचारक डॉ ध्रुवेंद्र भदौरिया के काव्य संग्रह धु्रवांजली का लोकार्पण भी था। आमंत्रित कवियों एवं शब्दम सलाहकार समिति ने इस काव्य संग्रह का लोकार्पण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ धुवेंद्र भदौरिया ने की। संचालन व्यंग्यकार अरविन्द तिवारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ महेश आलोक ने किया। शब्दम् सलाहकर मंजर व डॉ रजनी यादव ने भी सभी का आभार व्यक्त किया।