फिरोजाबाद: तारिका वध, सीता स्वयंवर की कथा सुन भक्तगण हुए भावविभोर
फिरोजाबाद। हनुमान जयंती महोत्सव समिति के तत्वाधान में आयोजित रामकथा में चैथे दिन तारिका वध, सीता स्वयंवर की कथा का मनमोहक वर्णन हुआ।
कथा व्यास साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने रामकथा की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि राम जन्मोत्सव का दर्शन करने भगवान शंकर अयोध्याय आते है और भगवान के बाल स्वरूप का दर्शन करते है। चारो भाई गुरूकुल में विद्या अध्ययन के लिए गए। जहाॅ उन्होंने गुरू सेवा और गुरू आज्ञा का पालन किया। गुरू सेवा से ही सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है। विश्वामित्र के माध्यम से राम ने ताड़का का वध कर उनका यज्ञ पूर्ण कराया। यज्ञ संस्कृति के रक्षण हेतु भगवान द्वारा यह लीलाऐं पूर्ण की गई। जनकपुर की लीला में भगवान ने भक्ति की प्रधानता का दर्शन कराया है।
महाराज जनक राम दर्शन करने के बाद ज्ञानी से भक्त बन गए। पुष्पवाटिका में भक्ति स्वरूपा जानकी का दर्शन भगवान को प्राप्त हुआ। जिसके पश्चात भक्ति एवं भग्वान के अटूट संबंध का प्रारम्भ हुआ। बिना भक्ति के भगवान नहीं मिलते है। जनकपुरवासियों को जब श्री जानकी प्राप्त हो गयी, तो भगवान राम पैदल चलते हुए स्वय जनकपुर में आ गये। जानकी साक्षात भक्ति है। अत भक्ति की कृपा से जनकपुरवासियों को भगवान मिल गये। अभिमान स्वरूप शिव धनुष का खंडन करके भगवान के संकेत दिया कि अभिमानी जीव का अभिमान जब तक खंडित नहीं होगा, तब तक वह भगवत कृपा का अनुभव नहीं कर सकता। धनुष भंग के पश्चात सीता ने भगवान राम के गले में जयमाला पहनाई। पूरा पंडाल भगवान के विवाह उत्सव में सम्मिलित होकर आंनद विभोर हो गया।