फिरोजाबाद: 1008 कलशों से भगवान बाहुबली का हुआ महामस्तकाभिषेक

-बारह वर्ष बाद सुहागनगरी में गूंजे भगवान बाहुबली के जयकारे
-छदामीलाल जैन मंदिर में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं का उमडा सैलाब
फिरोजाबाद। नगर में बारह वर्ष बाद भगवान बाहुबली गोमटेश का 1008 कलशों से महामस्तकाभिषेक शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों के साथ हुआ। हुआ। इस महाकुम्भ को देखने के लिए प्रातः पांच बजे से ही मंदिर प्रांगण श्रद्धांलुओं का ताँता लगा रहा। सेठ छदामीलाल जैन ने कर्नाटक के मैंग्लौर जिले के कारकल पहाड़ी पर इस प्रतिमा को बनवाया था। दक्षिण भारत की सबसे ऊंची और 130 टन भारी इस प्रतिमा को 12 जून 1975 को इस मंदिर में स्थापित किया था।
शनिवार को नगर के सेठ छदामीलाल जैन मंदिर में भगवान बाहुबली का महा मस्तकाभिषेक आचार्य वसुंनंदी गुरूदेव एवं मुनिअमित सागर ससंघ के सानिध्य में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। छः दिवसीय महामहोत्सव कुम्भ में श्रद्धांलुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रातः सात बजे सर्व प्रथम प्रतिष्ठाचार्य मनोज जैन एवं प्रदीप जैन शास्त्री के मन्त्रोंच्चारण के साथ सेठ छदामीलाल जैन परिवार के सेठ महावीर प्रसाद जैन, दिव्यांशु जैन ने भगवान बाहुबली की 54 फुट उतंग प्रतिमा का महा मस्तकाभिषेक किया।
जैन मुनि के मुखारविंद से शांतिधारा हुई। 1008 कलशों वालों ने इन्द्र इन्द्राणी वस्त्राभूषण सहित 13 पंती आमनाए द्वारा सभी कार्यक्रम सपन्न कराएं। सबसे पहले बच्चों ने शंखनाथ किया। श्रद्धांलुओं द्वारा बारी-बारी से रजत कलश से भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक किया गया। बारह वर्ष बाद होने वाले इस अभूतपूर्व दृश्य को एक टक निहारते रहे। इंदौर से पधारे विख्यात संगीतकार एवं गायकार रुपेश जैन ने महोत्सव को सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दिया। महामस्तकाभिषेक का कार्यक्रम पूरे दिन चलता रहा।
सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं ने संभाली कमान
नगर की प्रमुख सामाजिक संस्थाएं भारतीय जैन मिलन, जैन मित्र मण्डल, भारत विकास परिषद, दिगंबर जैन युवा संघर्ष समित, खरौआ महासमिति के पदाधिकारियों ने सुबह से ही अपने अपने केम्पो में सभी श्रद्धांलुओं के स्वलपाहर का जिम्मा संभाल रखा था। हजारों की संख्या में पहुंचें श्रद्धांलुओं को पूरी व्यवस्था के साथ आनंद होकर स्वलपाहार करा रहे थे।
प्रसाशन का भी पूर्ण सहयोग मिला
प्रसाशन ने भी इस महामहोत्सव में अपनी पूर्ण जिम्मेदारी निभाई। सीओ सिटी अरुण कुमार चैरसिया तथा थाना प्रभारी योगेंद्र पाल सिंह ने स्वयं व्यवस्था संभाल रखी थीं। सुभाष चैराहे पर ट्रेफिक व्यवस्था हो या मंदिर प्रांगण में सुरक्षा व्यवस्था हो, सभी जगह व्यवस्थाएं चाक चोबंद रहीं। कहीं भी कोई भी छोटी या बड़ी घटना नहीं घटी।