फिरोजाबाद: भाई भाई का विपत्ति को बांटने लगे, तो परिवारों की समस्याओं का समाधान हो जाये-विश्वेश्वरी देवी
फिरोजाबाद। रामलीला मैदान में चल रही रामकथा के सातवें दिन राम और भरत मिलन की कथा मनमोहक वर्णन किया। रामकथा वाचक साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने राम-भरत प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि राजतिलक की सामग्री को साथ में लेकर गुरूदेव की अनुमति से भरत श्रीराम की खोज में चल देते है। मार्ग की अनेक बाधाओं को पार करते हुए भरत चित्रकूट पहुंचते है। जहाॅ भरत का राम से मिलन होता है। भरत ने प्रभु राम से अयोध्या वापस लौटने की प्रार्थना की, लेकिन भगवान राम ने स्वीकार नहीं किया। दोनो भाई एक दूसरे के लिए सम्पत्ति और सुखो का त्याग करने के लिए उद्यत थे और विपत्ति को अपनाना चहाते थे। यही भ्रातृप्रेम है। आज वर्तमान में भाई-भाई की संपत्ति को बांटता है, विपत्ति को नहीं। यदि भाई भाई का विपत्ति को बांटने लगे तो संसार भर के परिवारों की समस्याओं का समाधान हो जाये। श्रीराम और भरत के प्रेम से प्रत्येक भाई को भाई से प्रेम का संदेश लेना चाहिए। श्रीभरत ने भगवान की चरण पादुकाओं को सिहासनरूढ किया और चैरह वर्ष तक उनकी सेवा की। यह भ्रातृप्रेम की पराकाष्ठा है। भगवान राम ने वन में रहकर वनवासी तपस्वी जीवन व्यतीत करते है और भरत नंदीग्राम मे ंरहकर भी संपूर्ण नियमो ंका पालन करते हुए भी अयोध्यावासियों का ध्यान भी रखते है।