टूंडला। नगर के लक्ष्मी फार्म हाउस पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में भगवान कृष्ण के जन्म की लीला का वर्णन सुन भक्तगण भावुक हो गये।
कथा वाचक अरविंद महाराज ने बताया कि जैसे ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ वैसे ही कंस की जेल में बंद देवकी व बासुदेव दोनों की हथकड़ी बेड़ी टूट गयीं वहीं जेल के फाटक भी खुल गये जो पहरेदार थे वे भी गहरी नींद में सो गये। यह देखते ही बासुदेव ने सोचा कि यह सुन्दर बालक है इसको तो बचाया जाये। यह सोचकर बासुदेव मौका पाकर बालक कृष्ण को लेकर नंद यशोदा के घर चल दिये। रास्ते में यमुना नदी पूरे उफान पर थी बासुदेव ने जैसे ही न दी में प्रवेश किया जो यमुना का जल भगवान कृष्ण के पैर पखारने के लिये आया और इसके बाद यमुना नदी ने उनको रास्ता दे दिया।
बासुदेव बालक कृष्ण को नंद यशोदा के घर रख आये और वहां से उनकी बेटी को लेकर चले आये। उनके आते ही जेल के दरवाजे फिर से बंद हो गये। देवकी और बासुदेव की हथकड़ी व बेड़ी लग गयीं। इतने में ही बालिका रोने लगी उसका रोना सुनकर पहरेदार वहां भागे चले आये और इसकी सूचना अपने राजा कंस को दी। इतना सुनते ही कंस स्वयं जेल आया और बच्ची को उठाकर चल दिया तो बासुदेव ने कहा कि यह तो बच्ची है इससे भला उनको क्या खतरा हो सकता है। फिर भी कंस ने बच्ची को जैसे ही जमीन पर मारना चाहा वैसे ही वह हवा में उड़ गयी और बोली कि तेरा बध करने वाला तो प्रथ्वी पर पैदा हो चुका है।