फिरोजाबाद: रामप्रेमियों के लिए राम विरोधी का त्याग आवश्यक है-विश्वेश्वरी देवी
फिरोजाबाद। रामलीला मैदान में चल रही रामकथा के छटवें दिन केवट भक्ति का अद्भूत वर्णन किया। कथा व्यास साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने रामकथा की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि केवट ने हठ किया कि आप चरण धुलवाने के लिए मुझे आदेश दे, तो मैं आपको गंगा पार करा दूंगा। केवट ने भगवान से धन, दौलत, पद ऐश्वर्य, कोठी खजना नहीं मागा। उसने तो भगवान से उनके चरणों का प्रछालन मांगा। केवट की नाव से गंगा जो पार करके भगवान ने केवट को उतराई देने का विचार किया। सीता जी ने अपनी मुद्रिका उतारकर दे दी। भगवान ने उसे केवट को देने का प्रयास किया, लेकिन केवट ने उसे न लेते हुए भगवान के चरणो का पकड़ लिया। जो देवताओं के लिए भी दुलर्भ है, ऐसे भगवान के चरणों की सेवा से केवट धन्य हो गया। भगवान ने उसके निस्वार्थ प्रेम को देखकर उसे दिव्य भक्ति का वरदान दिया औा उसकी समस्त इच्छाओं को पूर्ण किया। चित्रकूट पर भगवान का आगमन हुआ। यहाॅ से भील राज निषाद ने भगवान को प्रणाम करके अपने गृह के लिए वापस हुए। मार्ग में सोकातुर सुमंत को धैर्य देकर अवध भेजा। सुमंत के द्वारा रामजी का वन गमन सुनकर महाराज दशरथ ने प्राणों का त्याग कर दिया। अयोध्या में भरत का आगमन हुआ। उन्होंने कैकयी के द्वारा मांगे गये वरदानों के सत्य से परिचित होकर उन्होंने माता कैकयी का सदा के लिए त्याग कर दिया। उन्होने कहा कि रामप्रेमियों के लिए राम विरोधी का त्याग आवश्यक है। भरत माॅ कौशल्या के पास गये। कौशल्या ने भरत को पूर्ण वात्सत्य प्रदान किया। भरत ने माॅ के सामने शपथ पूर्वक कहा कि मैं आपको राम से पुन मिलाउंगा। इस अवसर पर बड़े हनुमान मंदिर के महंत पं. जगजीवन राम मिश्र इंदु गुरू जी एवं मुख्य यजमान पूजा सिंघल, पवन सिंघल ने श्रीरामचरित्र मानस की आरती उतारी। वहीं बड़े हनुमान मंदिर में हनुमान जी महाराज एवं रामदरबार में भव्य फूल बंगला सजाया गया। सुबह से लेकर शाम तक मंदिर प्रांगण में भक्तो का दर्शन हेतु तांता लगा रहा।