फिरोजाबाद: एक महीने के अंदर चल बसे माता-पिता, दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर बेसहारा बच्चे

फिरोजाबाद। दुनियां में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है। हिंदी फिल्म अमृत का यह गाना इन बेसहारा बच्चों पर बिल्कुल सटीक बैठता है। जिनके माता-पिता एक महीने के अंदर ही चल बसे और अब सहारा देने वाला कोई नहीं। दो वक्त की रोटी बच्चे घर-घर जाकर एकत्रित करते हैं। सरकारी स्कूल में दाखिला तो मिल गया, लेकिन रात गुजारने के लिए छत नहीं है। टूटी टीन शेड़ के नीचे जीवन यापन कर रहे बच्चों की दास्तां ऐसी है कि इसे सुनकर हर किसी की आंख नम हो जाएगी।

पूरा मामला नारखी ब्लाक के गांव खेरिया का है। जहां पर रहने वाले सुखवीर सिंह पुत्र सियाराम लोगों का खेत किराए पर लेकर उसमें मिर्च करते थे। पिछली साल बारिश की वजह से मिर्च की फसल बर्बाद हो गई थी और उन पर कर्जा हो गया था। कर्ज तले दबे किसान ने परेशान होकर 5 अगस्त 2023 को जहरीले पदार्थ का सेवन कर आत्महत्या कर ली थी। उनकी पत्नी शशी देवी की भी बीमारी के चलते 26 अगस्त 2023 को मौत हो गई थी।

माता-पिता की मृत्यु के बाद घर में तीन बच्चे सबसे बड़ी बेटी 14 वर्षीय अवनी, 13 वर्षीय अनुज और 8 वर्षीय अमित रह गए। बड़ी बेटी कक्षा नौ, अनुज कक्षा आठ और अमित कक्षा 4 में गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। गांव के सोबरन सिंह बताते हैं कि बेसहारा बच्चों का कोई सहारा नहीं बचा। अब वह गांव के घर-घर जाकर दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं। उनके पास रहने तक के लिए जगह नहीं है। टूटी फूटी टीन शेड के नीचे वह रहते हैं। जहां कभी तेज आंधी आने पर उनकी जान को खतरा भी हो सकता है।

गांव के ही प्रशांत सिंह ने बताया कि सुखवीर सिंह ने कर्ज तले दबकर आत्महत्या कर ली थी। बच्चों के रहने के लिए कोई जगह नहीं है। जनप्रतिनिधि और अधिकारियों द्वारा भी बेसहारा बच्चों को सहारा नहीं दिया गया है। ग्रामीणों ने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बेसहारा बच्चों की मदद करने की अपील की है।

एसडीएम विकल्प सिंह ने बताया कि हमने बच्चों की मदद के लिए बीडीओ नारखी से भी वार्ता की है। बच्चे अभी नाबालिग हैं। इसलिए इन्हें स्कूल में छात्रवृत्ति समेत विभिन्न प्रकार से मदद करने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों को भूखा नहीं रहना पड़ेगा।

Ravi
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रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

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