-चाइनीज राखियों का वॉकआउट कर महिलाएं स्वदेशी गाय के गोबर से बना रहीं राखियां
फिरोजाबाद। वैसे तो देशभर में कांच नगरी के नाम से भी विख्यात है। यहां सुहाग की निशानी के रूप में बनने वाली कांच की चूड़ियों के साथ ही कांच के विभिन्न उत्पाद भी बड़ी मात्रा में बनाए जाते हैं। लेकिन अब सुहागनगरी गाय के गोबर से तैयार राखियों के लिए भी जानी जाएगी। यहां की महिलाओं ने चाइनीज राखियों का वॉकआउट करते हुए भाईयों के लिए स्वदेशी राखियां तैयार की हैं।
राखी व्यापारी अरिहंत जैन ने बताया कि गाय के गोबर को अन्य चीजों में यूज करते हैं लेकिन हमने गाय के गोबर से राखियां बनाने का काम शुरू किया है जिससे लगभग 15 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। यह राखियां भाईयों को रेडिएशन से बचाने का काम करेंगी। वहीं इन राखियों को बनाने के लिए गाय के गोबर को सुखाकर उसका पाउडर बनाया जाता है, जिससे यह राखियां बनाई जा रही हैं। इनकी डिमांड यूपी ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में है। वहीं इनको बहुत ही कम दामों में बेचा जा रहा है।
व्यापारी की मानें तो इन राखियों को बनाने के लिए गाय के गोबर का उपयोग किया जा रहा है। सबसे पहले गाय के गोबर को सुखाकर उसका पाउडर बनाया जाता है फिर उसमें अन्य सामग्री मिलाकर पेस्ट तैयार किया जाता है। राखियों की सुंदरता मन को भा लेती है। भाई की कलाई गाय के गोबर से बनी राखियों से सजेगी तो भाइयों पर गौ माता की कृपा भी बनी रहेगी।
अरिहंत जैन ने बताया कि यह राखियां यूपी में ही नहीं बल्कि भारत के अलग-अलग राज्यों में भेजी जा रही हैं। जहां लोग इन्हें खूब पसंद कर रहे हैं। इन राखियों को तेलंगाना, हैदराबाद, महाराष्ट्र, गुजरात समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में बेचा जा रहा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी स्वदेशी राखियों की डिमांड है। यह राखी किसी भी तरह से नुकसान देह नहीं है।