-तीनों मृतक शिकोहाबाद थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं
शिकोहाबाद। गंगा दशहरा पर्व पर भगत के साथ गंगा स्नान करने गई सास, बहू और भगत की मौके पर ही मृत्यु हो गई। जबकि बालिका सहित दो गंभीर रूप से घायल हो गये। घायलों को पीजीआई अस्पताल सैंफई में भर्ती कराया गया है। जबकि शवों को पोस्टमार्टम के लिए एटा भेजा गया है।
मूल रूप से कन्नौज के गांव नरहारा हवेलिया सौरिख के रहने वाले हैं। गोविंद के पिता स्व. बीरी सिंह सरकारी स्कूल में अध्यापक के पद पर तैनात थे। उन्होंने मेलावाला बाग स्थित नेहरू एंक्लेब में घर बना कर यहीं परिवार के साथ रहने लगे थे। शनिवार रात को गोविंद (28) अपनी पत्नी पिंकी (26) और मां सरला देवी (60) और भाड़री निवासी भगत गिरीश चंद्र (48) जो पिंकी के फूफा हैं व गिरीश की भांजी दया (8) के साथ कार से निकले थे। स्नान करने के बाद सभी लोग कार से लौट रहे थे। एटा के रिजोर थाना क्षेत्र के अंतगर्त ईशान नदी के समीप ओवर टेक करते समय तेज रफ्तार कार सामने से आ रहे ट्रेक्टर में घुस गई।
जिसमें पिंकी, सरला और भगत गिरीश की मौके पर ही मृत्यु हो गई। जबकि गोविंद और दया गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद मौके पर पहुंची थाना पुलिस ने घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद पीजीआई हास्पीटल सैंफई भेज दिया, जबकि शवों को पोस्टमाटर्म के लिए एटा के जिला अस्पताल भेज दिया। हादसे की जानकारी होते ही मृतक पिंकी और सरला के घर नेहरू एंक्लेब पर लोगों और परिवार के साथ पडोस के लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। सरला का बड़ा बेटा मनजीत सिंह अन्य लोगों के साथ एटा पहुंच गया। जबकि कुछ लोग सैंफई पहुंच गये हैं, जहा गोविंद और दया भर्ती है। मंजीत मां और छोटे भाई की पत्नी के शव को लेकर अपने पैत्रिक गांव नरहारा हवेलिया के लिए एटा से निकल गये हैं। वहीं उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।
-पांच माह पूर्व हुई थी पिंकी की शादी
पडोसियों ने बताया कि गोविंद पहले आर्मी में तैनात था। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते उसने आर्मी को छोड़ दिया। इसके बाद उसकी शादी 24 जनवरी को पिंकी से हुई। अभी वह वर्तमान में घर पर ही थी। जबकि पिंकी सैंफई पीजीआई में संविदा पर नर्स के पद पर तैनात थी। गोविंद के बड़े भाई मनजीत सिंह की उनके पिता स्व. वीरी सिंह की मृत्यु के बाद उनके स्थान पर स्कूल में लग गई थी। गोविंद, पिंकी और सरला तीनों गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने कासगंज के कछला घाट पर गईं थी। लेकिन उन्हें क्या पता था कि स्नान करने के बाद वह घर नहीं लौट पाएंगी। वहीं गोविंद और दया भी सैंफई में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।