फ़िरोज़ाबाद। पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन जैन धर्म के दिगम्बर अनुयायियों द्वारा आदर्श अवस्था में अपनाये जाने वाले गुणों को दशलक्षण धर्म कहा जाता है। इसके अनुसार जीवन में सुख-शांति के लिए उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, अकिंचन और ब्रह्मचर्य दशलक्षण धर्मों का पालन हर मनुष्य को करना चाहिए।
दस लक्षण पर्व का प्रथम दिन उत्तम क्षमा को समर्पित है। क्षमा एक ऐसा गुण है जो हमें दूसरों के प्रति सहनशील और दयालु बनाता है। यह हमें अपने अहंकार और क्रोध को नियंत्रित करने में मदद करता है और हमें दूसरों के साथ शांति और प्रेम से रहने में सहायता करता है। उत्तम क्षमा का अर्थ है किसी भी प्रकार के क्रोध, अहंकार, और द्वेष को त्यागना और दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा का भाव रखना। यह हमें अपने जीवन में शांति और सुख प्राप्त करने में मदद करता है और हमें एक बेहतर इंसान बनाता है।
महावीर जिनालय में विराजमान आचार्य वसुंनंदी गुरुदेव के सानिध्य में आयोजित धार्मिक शिविर में स्थानीय तथा देश के दूरदराज क्षेत्रों से लगभग तीन सो श्रद्धालु धर्म लाभ ले रहें हैं। तो वहीं श्री शीतल नाथ दिगम्बर जैन मंदिर नसिया जी में भी मुनि अमित सागर के सानिध्य में सेंकड़ों श्रद्धांलु पूजा अर्चना कर रहें हैं। संजय कुमार जैन पीआरओ, आदीश जैन ने बताया कि पर्यूषण पर्व के दसो दिन विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं राजा का ताल स्थित पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि सोमदत्त सागर महाराज के सानिध्य में दसलक्षण महापर्व मनाया गया।