फिरोजाबाद: कान्हा के बालस्वरूपों को देख गोकुल धाम की याद हुई ताजा

-संस्कार भारती ने आयोजित की बालरूप श्रीकृष्ण सज्जा प्रतियोगिता

फिरोजाबाद। संस्कार भारती महानगर द्वारा बालरूप श्रीकृष्ण सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन सीबी गेस्ट हाउस में किया गया। कार्यक्रम तीन वर्गो में आयोजित किया गया। जिसमें नन्हे-मुन्ने बच्चे कान्हा के स्वरूपों में मनमोहक लग रहे थे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ बालकृष्ण भगवान के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलन रवीन्द्र अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल जानू, प्रवीन अग्रवाल वैद्य, शिवकांत पलिया, उद्देश्य तिवारी एवं रमेश बंसल ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का आगाज संस्था के ध्येय गीत से हुआ। वहीं कनिष्का ने धार्मिक गीत एवं सुरभि ने राधा मीरा नामक भजन पर शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुती दी।

वहीं नन्हे-मुन्ने बच्चे कान्हा के परिधानों बड़े आकर्षक दिखाई दे रहे थे। कार्यक्रम स्थल गोकुल धाम जैसा प्रतीत हो रहा था। कार्यक्रम में 75 से अधिक संस्कार भारती परिवार एवं एक दर्जन से अधिक विभिन्न स्कूलों के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने भाग लिया। मंचीय कार्यक्रम के दौरान कोई बच्चा रास बिहारी, माखन चोर, तो कोई बालक बांसुरी बजा रहा था। बच्चों की तोतली भाषा सबको लुभा रही थी।

प्रत्येक वर्ग में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को आकर्षण पुरस्कार संस्था द्वारा प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों को सात्वंना पुरस्कार दिए गए। कार्यक्रम का संचालन प्रवीन अग्रवाल स्मार्टटाॅक ने किया।

इस दौरान संजीव जैन विक्की, विकास बंसल, उमेश गुप्ता, दयाशंकर गुप्ता, मयंक सारस्वत, अनुग्रह गोपाल, अजय बंसल, ब्रजेश यादव, कुमुद हुंडीवाल, डा. अशेाक शर्मा, रवीन्द्र कुमार बंसल, कृष्ण मुरारी अग्रवाल, राजीव बंसल, अजय गुप्ता, नितिन अग्रवाल, गौरव बंसल, राकेश अग्रवाल, नीतेश अग्रवाल जैन, राकेश मीत्तल आदि मौजूद रहे।

Ravi
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रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

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