फिरोजाबाद: भारत की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ

फिरोजाबाद। दाऊदयाल महिला महाविद्यालय में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार एवं दाऊदयाल शिक्षण संस्थान के सहयोग से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि महापौर कामिनी राठौर, आईसीएचआर के उप निदेशक डॉ विनोद कुमार, संगोष्ठी समन्वयक महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. रेनू वर्मा एवं अन्य अतिथियों द्वारा मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया। तत्पश्चात महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत कार्यक्रम का आगाज किया। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन किया गया।

प्राचार्या के कुशल निर्देशन में डॉ अंजू गोयल द्वारा तैयार की गई प्राचीन से अद्यतन भारतीय इतिहास पर आधारित लघु-फिल्म का फिल्मांकन’ डिस्प्ले पर किया गया। तकनीकी सत्र का आगाज करते हुए संगोष्ठी की संयोजिका डॉक्टर रूमा चटर्जी ने सेमिनार की विषय वस्तु की रूपरेखा से अवगत कराया। बीज वक्ता के रूप में उपस्थित दिनेश नारायण मुख्य वक्ता आईसीएचआर के उप-निदेशक डॉ विनोद कुमार, प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार पांडे, प्रो. परशुराम धाकड़, प्रो. अवधेश कुमार, डॉ विजय कुमार सिंह, डॉ शीतकंठ दुबे, डॉ दिग्विजय सिंह, आदि विषय विशेषज्ञो ने संगोष्ठी के विविध विषय, उप-विषयों पर अवलोकन करते हुए अपने उद्बोधन में भारत की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर विस्तृत प्रकाश डाला।

संगीता ने अपना शोध पत्र पड़ा। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र के तकनीकी सत्र में लगभग 25 शोध पत्र पड़े गए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में सृष्टि के आरंभ से लेकर वर्तमान परिवेश में संगीत की विकास यात्रा पर सांस्कृतिक कार्यक्रम संयोजिका डॉ स्नेहलता शर्मा द्वारा निर्देशित संगीत कला का उद्भव और विकास पर आधारित छात्राओं द्वारा नृत्य नाटिका का सफल मंचन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर माधवी सिंह एवं डॉक्टर अंजु गोयल ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. विनीता गुप्ता ने सभागार में उपस्थित देश-विदेश के जाने-माने शिक्षाविद, साहित्यकार, इतिहासकार, समाजसेवी, उद्योगपति, शोधार्थियों एवं शिक्षक समुदाय का हार्दिक धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम की सफलता पर हर्ष प्रकट किया।

 

Ravi
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रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

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