फिरोजाबाद: मनुष्य को चिंता विनाश की ओर ढकेलती है-तारकेश्वरानंद

फिरोजाबाद। मानव उत्थान सेवा समिति के प्रणेता सतगुरु सतपाल महाराज की प्रेरणा से हंस सत्संग मंदिर प्रभारी महात्मा मालिनी बाई के सानिध्य में एवं बद्रीनाथ से पधारे महात्मा तारकेशवानंद के निर्देशन में संत सम्मेलन का आयोजन लालऊ रोड महाकाल रिसोर्ट में किया गया।

महात्मा तारकेश्वरानन्द ने कहा मनुष्य को चिंता विनाश की ओर ढकेलती है, चिन्ता हमेशा मनुष्य की शक्ति और समय का अनावश्यक रूप से हरण करती रहती है। जिस शक्ति के द्वारा मनुष्य अपना स्वास्थ्य सुधार कर सकता था, आजीविका कमा सकता था, विद्या अध्ययन अथवा कोई उपयोगी कला सीख सकता था, वह व्यर्थ ही बर्बाद हो जाती है। क्योंकि मनुष्य अध्यात्म से दूर भाग रहा है।

अध्यात्म को न जानकर वह शारीरिक, मानसिक, आर्थिक अथवा किसी अन्य प्रयोजन एवं विकास के काम में मन लगाकर विनाश की ओर चिन्ताओं में लगा रहता है। मनुष्य छोटी-छोटी बातों की चिन्ताओं में ही अपने मानव जीवन को गँवा देता है। मनुष्य-जीवन किसी महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए मिलता है। इसे छोटी-छोटी बातों की चिन्ताओं में गँवा देना समझदारी की बात नहीं।

हमें अपने जीवन लक्ष्य को समझना और उसमें अंत तक तत्परता पूर्वक लगे रहना तभी सम्भव हो सकता है, जब समय के तत्वदर्शी सदगुरुदेव महाराज का सानिध्य व आत्मज्ञानी संतों का सतसँग प्रवचन मिलता रहे। तभी चिन्ताओं से छुटकारा मिल सकता है।

महात्मा मालिनी बाईं ने कहा सदगुरुदेव महाराज हृदय में विराजमान शक्ति (आत्मज्ञान) का बोध कराते हैं। इस वीरेंद्र सिंह, वीरपाल, मानसिंह, जयदेव, ब्रह्मदेव, रामखिलाड़ी, सतपाल दास, चंद्रपाल, विद्याराम, मनोज कुमार आदि मौजूद रहे।

Ravi
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रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

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