फिरोजाबाद: साधु का आना मंगलकारी होता है-निर्भय सागर

फिरोजाबाद। श्री दिगम्बर जैन चंद्रप्रभु मंदिर में प. पू. वैज्ञानिक संत पाठशाला सम्वर्धक आचार्य निर्भय सागर महाराज ने धर्मसभा में उपदेश देते हुए कहा साधु का आना मंगलकारी होता है। साधु के पास आने से विषय कषाय छूट जाती है। साधु विषय कषायों को कम करने आते है। साधु का हर शब्द जिनवाणी होता है। विषय कषायों को मिटाने वाली जिनवाणी होती है।

आचार्यश्री ने कहा कि आज भगवान बोलते नहीं और आज के श्रावक शास्त्र खोलते नहीं। इसलिए व्यक्ति वास्तविक धर्म का रहस्य नहीं समझ पा रहे है। धर्म के मार्ग पर नहीं चल पा रहे। यदि आज व्यक्ति गुरु के बताये मार्ग पर चलने लगे तो वास्तविक धर्म को समझ जायेगे। गुरु में ही प्रभु और जिनवाणी दोनों समाये है।

आचार्यश्री ने कहा कि सच्चे भक्त की दृष्टि श्रीफल और सेब फल पर नहीं मोक्ष फल पर होती है। पूजन के द्रव्य तो खेल खिलौने की तरह होते हैं। अर्थात जैसे मां अपने बच्चों को खेल खिलौने देकर उसमें रमा देती है और अपना काम कर लेती है। वैसे ही आत्मा रुपी मां अपने काम में स्थिरता बनाने के लिए पांच इन्द्रिय और एक मन रुपी छह बच्चों को इन अष्ट द्रव्य रूपी खिलौनों में लगा देती है और वह आत्म कल्याण का कार्य कर लेती है।

आचार्यश्री ने कहा यंत्र, मंत्र और तंत्र का जैन धर्म में सबसे अधिक महत्व है। अभिषेक पूजन और प्रतिष्ठा में यंत्र, मंत्र, तंत्र तीनों की क्रिया होती है। इसलिए ढोंगी, लोभी, लालची, मंत्र तंत्र वादीयों के पास जाने की कोई जरूरत नहीं है। भारत देश की भूमि इसलिए पवित्र है, क्योंकि यहाँ जमीन से मूर्तियां निकलती है मुर्दे नहीं।

चंदाप्रभु मंदिर में आज प्रातः शांतिधारा करने का सौभाग्य अनिल जैन, मुकेश जैन, अंजू जैन, अमित जैन, ललितेश जैन, दुर्गेश गिलास वालों को प्राप्त हुआ। सभा में अरुण पीली कोठी, अजय वकील, पीयूष जैन, सम्भव, राजेश चैधरी, मुकेश विभवनगर, राजीव रागी, प्रवीण कटरा, अजय कलकत्ता, महावीर मामा, अमित आदि मौजूद रहे।

Ravi
Ravi

रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

Articles: 2254