फिरोजावाद: जनपद के 35 वें स्थापना दिवस पर आयोजित हुई संगोष्ठी

फिरोजावाद। जनपद स्थापना की 35 वीं वर्षगांठ पर फिरोजाबाद जनपद स्थापना एवं विकास समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओ ने जिले को समग्र रुप से विकसित करने की जरुरत पर बल दिया। साथ ही कहा कि महोत्सव की सफलता के लिए जन सहभागिता भी आवश्यक है।

पी.डी. इंटर कॉलेज में आयोजित दस दिवसीय फिरोजाबाद महोत्सव मे आयोजित संगोष्ठी में समिति के संरक्षक अनूप चंद जैन एडवोकेट ने कहा कि फिरोजाबाद महोत्सव के माध्यम से क्षेत्र के शहरी और ग्रामीण अंचलों की सभी समस्याओं पर भी चर्चा होना जरूरी है, जिससे उनका समाधान भी हो सके। महोत्सव केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, हमें जिले को विकसित बनाना है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पूर्व सांसद ओमपाल सिंह निडर ने कहा कि हमें उन सभी आंदोलनकारीयो का आभारी होना चाहिए, जिनके योगदान से यह जनपद बना और तभी यह जनपद का महोत्सव भी मन रहा है, हमें उनके योगदान को हमेशा याद रखना होगा।

संगोष्ठी के अध्यक्ष द्विजेन्द्र मोहन शर्मा ने अपने उद्बोधन में जिले के लिए चले 10 वर्ष के संघर्ष मैं सभी वर्ग के सहयोग देने वाले आंदोलनकारियो का स्मरण किया गया। उन्होंने कहा कि हमने क्षेत्र के विकास के लिए जिले की अलख जगाई थी। विकास के लिए हम सब लोगों को सतत आवाज उठाती रहना चाहिए, क्योकि जिला हमारा है उसके विकास के लिए हमें सतत-प्रयास शील रहना चाहिए।

फिरोजाबाद महोत्सव भी हम सब का है इसको सफल बनाने में सभी का योगदान आवश्यक है। महामंत्री उमाकांत पचैरी एडवोकेट ने कहा कि फिरोजाबाद महोत्सव में फिरोजाबाद जनपद की पुरानी विरासत और यादों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। साथ ही फिरोजाबाद के कुटीर कांच आदि उद्योगों की प्रदर्शनी भी महोत्सव में होनी चाहिए। संगोष्ठी का संचालन प्रवक्ता अश्वनी जैन द्वारा किया गया।

इस दौरान झब्बू लाल अग्रवाल, मुकेश गुप्ता मामा, सुनील वशिष्ठ, शमीम अहमद, अरुण पालीवाल, राकेश शर्मा चुन्नू, रमाकांत उपाध्याय, बनारसी लाल भोला, मयंक भटनागर, सत्येंद्र जैन सोली, बाबूराम निशंक, असलम भोला, अंबेश शर्मा, हरिओम वर्मा, विकास लहरी, सुरेंद्रनागर, विद्याराम राजोरिया, डॉ संध्या द्विवेदी, कल्पना राजौरिया आदि मौजूद रहे।

praveen upadhyay
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शालू एक उत्साही और समर्पित पत्रकार हैं, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी ताजगी और नवाचार के लिए पहचानी जाती हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी और संवेदनशील रिपोर्टिंग की है। शालू की लेखनी की विशेषता उनकी संवेदनशील दृष्टिकोण और सटीक तथ्यों की प्रस्तुति है, जो पाठकों को घटनाओं की वास्तविकता से रूबरू कराती है।

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