आचार्य विद्या सागर को दी गई अभूतपूर्व विन्याँजलि

फिरोजाबाद। श्री छदामीलाल दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य विद्या सागर गुरुदेव को नगर सम्पूर्ण जैन समाज द्वारा मुनि अमित सागर गुरुदेव के ससंघ सानिध्य अभूतपूर्व भावपूर्ण विन्याँजलि दी गई। जिसमे दूर-दराज क्षेत्रों से पधारे एवं स्थानीय विद्वानों ने अपने सम्बोधन में आचार्य भगवन का गुणानुवाद किया।

नगर के छदामीलाल जैन मंदिर में मुनि अमित सागर गुरुदेव के सानिध्य में आचार्य विद्या सागर को विन्याँजली दी गई। मुनिश्री ने कहा कि गुरु को अपने मन में बिठाना सेल है, परन्तु उतना ही दुरूह कार्य है गुरु के मन में स्वयं को बिठाना। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री किसी को भी नियमो एवं चारित्र की कसौटी पर खरे उतरे बिना दीक्षा नहीं देते थे। आचार्य श्री पूछने वाले की तीव्र इच्छा को पहचानकर उसके प्रश्नों का उत्तर देते थे।

इस अवसर पर महापौर कामिनी राठौर एवं नगर विधायक मनीष असीजा ने आचार्य श्री के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया तथा मुनिश्री से आशीर्वाद भी लिया। नगर विधायक मनीष असीजा ने आचार्य श्री को नमन करते हुए कहा कि ऐसे राष्ट्र संत के प्रत्येक देश वासी नतमस्तक है। उन्होंने कहा कि भाजपा कि राष्ट्रीय कार्य कारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ सभी पदाधिकारियों ने आचार्य श्री को विन्याँजली दी है।

महापौर कामिनी राठौर ने कहा कि जैन मुनियों और आचार्यों की चर्या, उनका आचरण और धर्म निष्ठां सदैव वंदनीय है। प्रवक्ता अनूप चंद्र जैन एडवोकेट ने कहा कि ऐसे राष्ट्र संत को भारत सरकार को भारत रत्न से सुशोभित करना चाहिए। आगरा से पधारे गणतंत्र शास्त्री ने कहा कि जैन संत कि समता समाधि महोत्सव होती है। जैन मुनि जीवन, पर्यंत, आत्म साधना में लीन रहते हैं।

विन्याँजली सभा में पंडित राम सनेही यायावर, पंडित अजय जैन, पंडित निलय जैन, अनुराग, अमित जैन, संजीव जैन, मयंक जैन, श्री मती नीता जैन, अरुण जैन पीली कोठी, पीयूष जैन, प्रमोद जैन, ललितेश जैन, सुधीर जैन, सतेंद्र जैन सोली, अरुण जैन, आदीश ने अपने विचार व्यक्त किये। सभा का संचालन सौरभ जैन शास्त्री ने किया।

Ravi
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रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

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