फिरोजाबाद: बिना सत्संग के मनुष्य के जीवन में शांति प्राप्त नहीं होती-विश्वेश्वरी देवी

फिरोजाबाद। हनुमान जयंती महोत्सव समिति की 114 वीं वर्षगांठ एवं हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में रामलीला मैदान में रामकथा की अमृत वर्षा बह रही है। जिसका सभी रामभक्त धर्मलाभ लेकर पुण्य अर्जित कर रहे है।

हरिद्वार से पधारी कथा व्यास साध्वी डाॅ विश्वेश्वरी सत्संग की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि बिना सत्संग के मनुष्य के जीवन में शांति नहीं प्राप्त होती। उन्होंने कहा कि सती ने भगवान की कथा प्रति अनादर भाव रखा। परिणाम स्वरूप सती को अपनी देह का त्याग करना पड़ा। संत ही शास्त्रों के माध्ध्यम से भगवान के दर्शन करा सकते है। जब सती द्वारा श्रीराम की परीक्षा ली, तो भगवान शंकर ने अत्यंत कष्ट हुआ। परंतु शिवजी ने भगवान पर भरोसा रखा। जो जीव भगवान पर भरोसा रखता है। प्रतिकुल एवं अनकुल परिस्थितियों में भगवान का ही स्मरण करते है। तो वह मुश्किल समय भी आसानी से काट लेते है। उन्होंने कहा कि मुश्किल समय में भी भगवान का श्रद्वा से स्मरण करेंगे, तो सारी समस्याओं का हल निकल जायेगा।

उन्होंने कहा कि जब सती बिना बुलाये अपने पिता के घर पहुंच गयी, तो उन्होंने अपने पिता से कहा कि आपने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती के पिता दक्ष भगवान शिव का अपमान करते है और सती शिव का अपमान सहन नहीं कर पाती है। वह अग्नि में अपने शरीर का त्याग कर देती है। सती का जन्म पार्वती के रूप में होता है। कथा के विश्राम पर मुख्य यजमान रामचरित्र मानस की आरती उतारी।

 

Ravi
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रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

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