फिरोजाबाद: आईएमए ने मेडिकल कॉलेज में मनाया मदर्स डे

-आईएमए पदाधिकारियों ने अस्पताल में भर्ती महिलाओं को बांटे फल व किट

फिरोजाबाद। रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा मेडिकल कॉलेज के सौ शैय्या अस्पताल में मदर्स डे का आयोजन किया गया। अस्पताल में भर्ती महिला मरीजों को फल वितरण करने के साथ ही साबुन, तेल व पाउडर की किट प्रदान की। वहीं सभी माताओं को मातृ दिवस की शुभकामनाऐं प्रदान की।

सीएमएस डॉक्टर नवीन जैन ने आईएमए द्वारा आयोजित किए गए इस कार्यक्रम के लिए बधाई देते हुए कहा कि अस्पताल में भर्ती महिला मरीज को आज डॉक्टर्स ने उनके मां होने पर गर्व का एहसास कराया। उन्हें बताया कि वह जगत जननी हैं जगत माता हैं। उन जैसी माता के दम पर ही आज सृष्टि का संचालन हो रहा है।

आईएमए अध्यक्ष डॉ पूनम अग्रवाल ने अस्पताल में भर्ती महिला मरीजों को फल वितरित करते हुए कहा कि मां अपने बेटे के लिए हर दुख दर्द सहन करती है। यह सहनशीलता केवल एक मां के अंदर ही हो सकती है। अगर इस संसार में मां नहीं होती तो कोई नहीं होता। मां जिंदगी का वह तोहफा है, जिसे कोई दोबारा नहीं दे सकता। बच्चों के जन्म लेने से पहले और जन्म लेने के बाद तक मां उसे अपने कलेजे से लगा कर रखती है।

बड़ा होने पर भी वह उसे उतना ही प्यार देती है जितना कि छोटे पर। साथ ही एनीमिया, हाईब्लड शुगर, बीपी से बचाव की शिक्षा दी। सचिव डाॅ रचना जैन ने महिलाओं को परिवार के साथ स्वयं के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की सलाह दी। डाॅ प्ररेणा जैन ने कहा कि एक स्वस्थ्य माॅ ही स्वस्थ्य परिवार का आधार है। डाॅ सारिका अग्रवाल ने प्रसव के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की सलाह दी।

इस दौरान माताओं का फूल माला पहनकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में डॉ गौरव अग्रवाल, डॉ एलके गुप्ता, डाॅ दीपक अग्रवाल, डाॅ विवेक अग्रवाल, डाॅ कमलेश वमा, डाॅ रचना जैन, डाॅ दिव्या चैधरी, डाॅ मनोरमा गुप्ता, डाॅ मिली अग्र्रवाल, डाॅ गरिमा शर्मा ने भी माॅ व बचचें स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। डाॅ दिव्या चैधरी व डाॅ भरत शहरोत ने धन्यावद ज्ञापित किया।

Ravi
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रवि एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अनूठी शैली और गहन विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के विविध पहलुओं का गहन विश्लेषण और सरल भाषा में जटिल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। रवि के लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना और पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करना है। वे विभिन्न विधाओं में लिखते हैं,। रवि की लेखनी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय समावेश होता है।

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