फिरोजाबाद। रामलीला मैदान प्रांगण में चल रही रामकथा में तीसरे दिन कथा व्यास साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने प्रभु की राम की जन्म कथा का मनमोहक वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि जीव जब सच्चे मन से भगवान की प्रार्थना करता है। उसे उसका फल अवश्य मिलता है। भोगी का प्रारम्भिक अवस्था सुखमय होती है, लेकिन अंत अत्यंत दुखत होता है। इसके विपरीत योगी की साधना अवस्था कष्टप्रद होती, किंतु अंत बड़ा सुखद होता हे। इसलिए कहा जाता है कि अंत भला, तो सब भला। कथा व्यास ने शिव पार्वती के विवाह का प्रसंग सुनाते हुए रामकथा का प्रारम्भ कैलाश की पावन भूमि से किया। पार्वती ने शिवजी से रामचरित्र विषयक प्रश्न पूछे, शंकर जी ने उनका उत्तर देते हुए श्रीराम कथा प्रारम्भ की।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक कल्प में भगवान श्रीराम का अवतार होता है। अधर्म रूपी रावण के अंत के लिए एवं संतों को आनंद देने के लिए भगवान अवतार लेते है। उन्होंने कहा त्रेता युग में चैत्र शुल्क नवमी के दिन भगवान राम का अवतार दशरथ एवं माता कौशल्या के राजभवन आयोध्या में हुआ। राम के जन्मोत्सव पर एक-दूसरे को बधाई दी। वहीं रामभजनों पर भक्तगण थिरकते दिखाई दिए। कथा के विश्राम पर रामचरित्र मानस की आरती चट्टनलाल मीत्तल एवं बीना मीत्तल ने उतारी। पं. जगजीवन राम मिश्र इंदु गुरू की गरिमामयी उपस्थिति में आज की कथा सम्पन्न हुई।